पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२०७

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१७४ ] १७८०, वि० नंद तथा वृषभानु द्वारा वर-वधू / सत्तसैया-दरिया साहय कृत; लि० का० सं० के लिये वस्तुएँ मेजने का वर्णन । दे० (छ-११) १८-२, वि० शान वर्णन | दे० (ज-५५ एल) सज्जन विलास-इत्त ( देवदत्त ) कृत, नि० सतसैया वर्णार्थ- ठाकुर कवि कृत, नि० का का० सं० १८०४ लि० का० सं० १८४६, वि० सं० १८६१, लि० का० स० १६१०, वि० बिहारी नायिका भेद वर्णन । दे० (घ-३६) सतसई पर टोका । दे० (ङ-१८) सतकवीर बंदी छोर---कवीरदास कृत, वि० | सनीप्रसाद--कमौलो (यनारस) के जमीदार- आत्म-सिद्धांत वर्णन । दे० (छ-१७७ एफ) बटुक बहादुरसिंह के आश्रित थे, इनके विषय सतगीता-सतीराम कृत, वि० दुर्वासा के सम्मुख्न में और कुछ भी ज्ञात नहीं। पांडवों द्वारा अद्भुत महिमा का वर्णन। दे० जयचंद वंशावली दे० (छ-२३०) (छ-३२५) सती-विलास-बिरंजि कुँवरि (स्त्री) कृत; नि० सतनाम--कधीरदास कृत; विज्ञान और वैराग्य। का० सं० १६०५, वि० पातिव्रत धर्म और पति. भक्ति वर्णन 1 दे० (ङ-३६) दे० (ज-१४३ क्यू) सत पंचाशिका-रामचरणदास कृत; नि० का० | सतीराम-इनके निपय में कुछ भी झात नहीं । सं० १८४२, लि० का सं० १८७० वि० तत्वों सतगीता दे० (छ-३२५) का वर्णन । दे०(ज-२४५ वी) सत्यनारायण कथा-माखनलाल कृत; लि. सतसंग को अंग-कबीरदास कृत; वि० सतसंग का० सं० १६२०, वि० सस्कृत सत्यनारायण, की महिमा का वर्णन । दे० (ज-१४३ सी) कथा का भाषानुवाद । दे० (छ-६६ वी) सतसंग विलास-र०अज्ञात; लि० का० सं०१६१६, सत्योपाख्यान- ललकदास कृत, लि० का० सं० १९३१, वि० रामचरित्र का भादि से विवाह घि० मूर्तिपूजा के भंडन में सस्कृत श्लोकों पर्यंत वर्णन । दे० (ज-९७१) और भाषा पदों का संग्रह । दे० (-५३) सतसंग सार-व्रजजीवनदास कृत; चि० सतसंग सत्रह (सतर) भेदपूजा---गुणसागर जैन कृत, वि० जिन देव की पूजा के सत्रह भेदों का वर्णन । का माहात्म्य । दे० (ज-३४ एल ) दे० (क-६४) सतसई -अन्य नाम बिहारी सतसई, विहारीलाल सदल.मिश्र--सं० १८६० के लगभग वर्तमान; कृत; जयपुर नरेश सवाई जयसिंह के समय में धनाई गई, आजम शाह के समय में इसका जाति के प्राह्मण, कलकत्ते के फोर्ट विलियम । कालेज में अध्यापक डाकृर गिलहर्ट के क्रम लगाया गया, वि० शृगार के मौक्तिक समकालीन और उनकी सरक्षकता में काम दोहे। दे० (ख-२७) करते थे। नि० सं० १७०७, लि० का० सं० १८३६, नासिकेत पाख्यान दे० (ख-३४) सदाचार प्रकाश-जयतराम कृत, नि० का० ३० (ब-१३३)