पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२०८

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CNN,निकास यि मकि पटमान, रापा निकट किसी गांव के और मैराम्प का परान । दे० (-१२०) जमावार पे जाति के त्रिय खौहान थे। सदानदासम्म का०स०१६८०इनके विषय पर प ( महाभार)०(१२४प) में और कुछ भी मात नहीं। (१-२२४ी) गायत्री मनी की दे० (-2s" महामात (ए-६१) ई सदागम-मके विषय में कुछ मी जात महाँ । सरसम्ब-०१३ के लगमय पतमान मामी पर पारा १० (-०२प) मिषाप्ती शनि कारखा मोरया (खरेलकर) बोप विसात ० (-२७२), केरामा विक्रमातीन मिरे प्राधिन थे। अनुमत्र मार सिं० (-२ मी) घि म पारा 20 (110) मारकबीर (-२३२1) सरंगा-मुदरदास नलिकासवि० सनालीशा-सि पि वा निकास शाम और पैराग्य का वर्णम् । २०(ग-२५) २४०.वि.कपो और गोपियों का सहारा (-२००) (-३६प) समाचार औरगर के समक्षाहीमा सनालीतासगाहून ता लि० का० स० सिता प्राङ्गमगर मियामी, सं० १००के TEMOण का कपो मारा पशोदा के सगमा पर्तमान, अगसिर और माझमयों प्रति संदेसा भेने का वर्णन। (-1) केमाभित थे। परित (अ-2x0) सनेसीला-मामास सामी CREE सं० १८६४ दि० कृष्ण गोपियों को संबसा। सपा-पय-पुरिरसिंह क्या लि० का० स० मेजने का वजना०(प-२६) १ति का सं १६५५यि० पानीति भीरशासम-पतिका षर्णन । २०(५-१७) सनेह संगम-प्रतापसिंह (प्रजामिपि) , निका. स. रवि राधाकृष्ण समा-पाच-रियरस निका०६० मगहों का वर्णन । ३० (+-) १ लि.स. १)वि०मसंकार। दे०(८-२५५बी) सरसागर-शी इसराज, जि. समा प्रकाश-रि कपि का निकास. संविataाका पणेन । २० १०लि. ००१ बिजलीदि। (T-14) (44) दे० (क-रक्ष) समेहीराम-लक विपर में कुछ भी बात नहीं समा प्रकाश-विमोकहि कता मि० का० ० सूदन कषि में मपन प्रग्य में इसका पनाकिया १८०५ विपकमोति। ० (ज-३१) 12105 पूर्व पर्वमान थे। रारी० (T-RN) समा भूपण-गयाराम कथा लि. का. १७) हिका-सं० १७१ विक प्रग-रागि समलसिंह (धोशन)-०१७ के लगमग नियों का वर्णन (-3) . स० $