पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२११

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[ १७८] सरस मंजावली-सहचरीशरण कृतः लि०का० सरस मजावली दे० (छ-२२५) स० १६०४, दूसरी प्रति का सं० १६५६; वि० सहज प्रकाश ( बहुअंग )—सहजोधाई (स्त्री) कृष्णभक्ति तथा प्रार्थना । दे० (छ-२२५) कृत; नि० का० सं० १८००, लि० का०सं० -सरसरस-सूरति मिश्र कृत, नि० का०सं०१७६१ १८७६, वि० गुरु की महिमा और प्रभाव का लि० का० सं० १६५४; वि० नायिका भेद । वर्णन । दे० (छ-२२६) (क-६२६) (घ-१६२) दे०(ज-३४१ वी) सहजराम-ये किसी रियासत में नाज़िर थे, सरस्वती-उप० कबौद्र, घनारस निवासी; सं० इनके विषय में और कुछ भी बात नहीं। १६८७ के लगभग वर्तमान थे। सहनराम चदिका दे० (ङ-६१) समरसार दे० (ङ-३६) सहजराम चंद्रिका-सहजराम नाजिर कृत, पि० सर्वजीत—इनके विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं। केशव कृत कविप्रिया पर टीका । विष्णुपद दे० (ड-५४) (ङ-६१) सर्वसार उपदेश-जन अनाथ भाट कृत; नि० । सहज सनेही-उप० मोहन; सं० १६६७ के लगभग वर्तमान; मथुरा निवासी थे। का०सं० १७२६, लि० का० सं० १८६८, भष्टायक दे० (घ-४) पि० वेदांत । दे० (ज-१३१) सहजो पाई (स्त्री)-हरिप्रसाद की पुत्री, जाति सर्वमुखदास–दायन निवासी; राधा घलभी को धूसर वैश्य, स्वामी चरणदास की शिष्या; वैष्णव थे। सं० १८०० के लगभग वर्तमान; परीक्षितपुर? सेवक पानी फीटीका दे०(ज-२८५) (दिल्ली) निवासिनी थीं। सर्वमुख सरन-ये साधु थे और अयोध्या के सहा प्रकाश (बहु अग) दे० (क-२२४) महंत जान पड़ते हैं। (छ-२२६) तत्वबोध दे० (ज-२८४) सहनोचाई कृत शब्द दे० (क-१३१) सलीम-उप० जहाँगीर, मुगल वंश के सम्राट्, | सजोचाई कृत शब्द-सहजोवाई कृत, वि० योग बादशाह अकबर के पुत्र; राज्य का० सं० शास्त्र । दे० (क-१३१) १६६२-१६८४, प्राणचंद चौहान के समकालीन सहदेव-इनके विषयामें कुछ भी मात नहीं। थे। दे० (घ-६५) गज प्रकाश दे० (छ-३२३) ससिनाथ-८० १८०७ के लगभग वर्तमान; साँझी-घनश्यामदास कृत; वि० कार मास में भरतपुर-नरेश राजा सुजानसिंह के आश्रित, कृष्णोत्सव पर की साँझी का वर्णन । सूदन कवि के समकालीन थे। (छ-३६ सी) सुजान विलास दे० (क-२) साखी-राजा विश्वनाथसिंह कृत; लि. का० सहचरीशरण-वृंदावन निवासी खामी हरि- सं० १६०४, वि० कबीर की साखियों पर दास के शिष्य थे। तिलक । दे० (ज-३२६ ऐच)