पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

i [*** सागरक्षान पारण-लगभग 4 | सासर-सुररिपरि (स्त्री) का निका माल जाति साधारण मासाप (IN स.स.पि मदि शायएन०(२-१०२) पुरसम्प) सिंदर भाभित थे। सारसंग्रहायशाद एम, दि० स्कुर रोदी का गुचसिर १० (-) साहा-१५२) साप को अंग-कबीरदासरनदि० साधु और सारसंगर-शुकर पाई कम RO EI माधुना कापा.(x-५२२) यलि. का R० र यिनीति साधु-दना-मरसीदाम एन, पि० जनमता दोहे।३० (-18) नुसार साधु मौ २८ गुपोका पनि सारसंग्रह-गापम पुन: नि का सं0 111) लिका १० १०, पिक पंचक ० सापानी–पिछोर निवासी B. १ के (MR) समय पसेमाना होंगे दयास राणा सारयसिस (रामा)- नागरीवासा रस रासा लिया था।(र-१४) माया जगम का सं० १५५, मायु का सं० सारदिक दयाराम रप वि० दप्तरेकामों को २२ महार रामसिंह पुत्र देबर भविष्य काहीरासिायन । परिमौर बहासिदमा सरवासिंह के पिता पे एक भये पिथे, २०१५ सादिक - महानि.का०स०१N मेमपने माई बहादुरसिंदमाप कर दिए सि. का. . दूसरी प्रति का स० जाने पर अपने पुत्र सरपासिंह को परे कपिलव्यातिपःप्रपाइस-रणामो माप करवायन घले भार सहारात के मषिम्य बन करना । दे०(५-२५६) गुरु थे।२०-२६) पनपत (4-REER) सादिक---पनाप शात्रीत लिक सं० पशिगार दे(4-1861) २४ विसरेनामोरा पिम पम पर माया (0-8 सी) करले भोलि | ६०(८-४४) साया (6-२१२) सारंगपर महिला मेसिन नि०० स. Inा.(ब-१५) For, to 2020 १४२२, कि पका भोरमोगरे (-1) ī सगत शाझपर परिला भाषानुपार। मणिम मेन (सूर दादा). (-15) (1) सार डिप-form भावी मालिका. परिपान र.(0-१९३) H- 17 सस्ता सानपनापा-(-110) मादाम्य पानाtr-141) व पार पाहा (0-11) L