पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२१६

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। पंदरदास पुत्र बानि ब्राम उन्दरदास-४० सुन्दर, प्रालिशवासी। समान। आतिमाझमा ०१६-गमा मत समानर रीमारीयादे०(प-1१४ मामा वावगाह गादशहाँ और मौरंगशेवरे मुन्दरदास-बापूजी के शिप्प, समास प्रापिट पाहन परवार से एम् कविराय १६५२, मुत्यु का.स.१४)साद परमान्य मौर मादिराय की अपाधि मिली। के पुष, चौसा (जयपुर राम्प) निबासी जाति भर गर(4-1) (ग-1) परेशाधे। (१-४१५)(१४) हरियो चिंतामदि०(क-२) रामासी (रबी) एमा ३० (२५)(-२५२५) सुन्दरदास की पानी- सुपरजास लि. तामा ३० (ग-) (-३११५) का००१गुरु मारम्प, श्वरमपि सदर विचाट १० (१-२४२. श्री) (ग- और माधम धर्म का पान. (अ-३५) २५पक) मुरसान वानी ३० (-१५) मन्दरबाल-प- रविक दर साक्ष निचरमाला दे. (ज-सी) पुष, मालिकेकापमा १६० के सामाः भिवानी दे० (-३सी) पर्वमान, जयपुर मश महाराज रामसिंह भाभित थे। म.(क-२) सालाम दे (ग-२५ हीन) र 1ि6-१५५) सुराग-सबार) नियति धनि रमामयबदे०१-१२ सो योम रे. (1- पोर) धन्दरपिसास-घरदास कर सबसमावि. (ग-३५) पि०भारमसाना पश्चन (क स्वरोप देवग-ससात) २४२ मी) माविचार (ग-भाठ) सुन्दर शतकरीमनरेश महाराज रघुपस गौतम २० (ग-समी) सिंह पिस० पिकच चार सी.(ग-२५ वस) मानजी की स्तुतिभोर कपा।३० (-४५ समा.(म.२५ स्यार) दोनदे०(गरपारा) RA(-२५ रह) मन्दर मेगार-मुन्धरदास चमि का १६ क्षिासे०१८स और वि. शिविप सात मेर(ग-बौरह) मापिय मे० (-) (-१)(ब-२४ पादे० (- पत्रा) शामलमुत्र २० (-1) (-२५ो) (ग-११५) (चारी) अंदर श्याम विद्यास-सुपरहास काय कर १