पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

. सबतानसोबत होकभयनिपति मोहमीद रस । बावारिनिपि रत भी रखम भोजको माद। परनिबाप सर कर जामिकलि-कालमाप बस साहमि सौ रन जोस्यो रात दिसम्द६७ मतिराम प्रति जगमपत भारसिंह मणमाई। नगो पोस मशी भौति विदित होता मियर विवान रिम दिन उदित करत सहिन कि ये दोमों प्रथ मविराम के रचे इप है। पत्त सब अपराकाई 100 कौमुदी की रचना सहितमनाम से पीछे की होने 1 एक धर्म गृह म सम्म रिपु रुप अति पर। के कारण और भी मोहिनी त होही। एक दुरि गम्मीर पीर पौराधि वीरपर ।। भव एक पेनिहासिक प्रमाण मी दिया एक मोर अयतार सकता सलामत रक्षकमाता है जिससे मलो मति विदित हो जायगा पक जाट करपास निखिल मल करें तखक विलसितललाम, रसपत्र, सार पिंगा और मतिराम पर दावानि मगि जग इस प्रमतकोमुदी के पिता महाकपि मतिराम एक प्राहिय हो, मिन भिध नहीं है। बगुवाम बरामदसरा इमिपहराप सुरमन मएड ६३ राकर शिवसिंह सा मे अपमे मसिय प्रय शिवसिंह सरोज में एक घरमार पिंगका बेठे पेरदार दरकार सिरदार सा, ऊपर प्रठाए रिशीपति को भमग भी। से सदृत किया है। इस प्रकार है:- मतिराम कहें करपार सैया येते, परता पक जैसा शिरा पोस्रो गाहरसे मरेमा हाँसोको प्रप्ता मौ। अप फतेसाहसी मगर माहिती समाज। असोसिसौर मनी पता नरनार भयो मुरजत मुस समाज पधारो पक, मोजीस सारिकम पगामी! सो कुमापति पूरी सलाम। जैसे अमसिंह परावत महापण भयो भूपमिस राषभुन लाल रग वैणि मुम, डिमको मही में भी पास साम। मौरन को म्पति विना दोस्याम एग मौर मित्र साहि मर ची इंदन कुल पायजा परम प्रयीन पीर परम पुरीम दीम पेसो भय दिस साप महायज है। पशु सवा सासी परमेर मै मति है। इस छन्द में महाकपि मतिराम से अपन हीन सुखर विधानपरिहासच मिलास कपि, आतमेशरसि गारजाति मति। भामयामा सामों कुमा-पटि उपोखसिर, श्रीनगर (दुदेशकश यह धादिमीर साल की सप्न पूट मावसिंह भी मित्र सादि (देव के पुत्र रामपणामय साप मनिराम कदादिसारियो फपति है। सिंहकी समानता महापत्र शिवामी, मशरण मानपति मानपति हम्पिान पति, रिहापनि दसपति पता पति है। पपपुर जयपुर गण महाराजा जयसिर और बापपुर मरेच महाराज बसवतसिंह से की है। मधुशालपुर सस्य में भापरिर भूपाला सजगत में अपत समीक्षा शिलिस