पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२२३

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[ १६० ] प्रवाह वर्णन दे०(ग-20) १:३२, पि० पादयों के हिमालय गमन का स्यामसिंह-मनियारसिंहक पिता,काशी निवासी, चर्णन । दे०(छ-२४८ बी) सं० १८४३ के पूर्व वर्तमान । दे० (घ-४७) स्वायंभुव मनु की कथा-महाराज जयसिंह कृत; स्वजनानंद ग्रंथ-~महाराज सातमिह ( नागरी लि० का० स०१६थि० म्यायंभुव मनु की दास) कृत, नि० का० स० १८०२, वि० कृष्ण कथा का वर्णन । दे० (4-75) चरित्र का वर्णन । दे० (मा-१२७) स्वॉम गुंजार--कपीग्दाम इत, लि० का० सं० स्वद्रष्टि (मुदिष्ट ) तरंगिणी----० अमान; नि० १८४६.बि म्याँस के विचार का वर्णन। ३० का० सं० १८३८, वि. जैन धर्म के सिद्धांतों (ज-१४३ जे) का वर्णन । दे० ( क ११) स्वॉस विलास-संतदाम रत, लि. का० सं० स्वम-परीक्षा-छत्रसाल मिश्र कृतः लि० का. सविक स्थान के विचार का यगन ! दे. स०१८४६, वि० स्वप्न के फलाफल का विचार। (ज-२-२ ग्री) दे० (छ-२१ सी) हम जवाहिर-फासिम शाह शन, नि० का० सं० स्वरोदय-दत्त कवि कृत; वि० युद्ध के समय १७- (दि. सन १९४६) लि. का० सं० स्वर के विचार का वर्णन दे० (घ-१२०) १६५८, वि० राजा हस और रानी जवाहिर की कथा का वर्णन | दे० (ग-११२) खरोदय-ऋषिकेश कृत; नि० का० सं० १८०८; लि० का० सं० १९२०, वि० प्राणायाम और ईस मुक्तावली-कबीरदास कृत; लि० का० सं० योग-विधि का वर्णन । दे० (छ-२२१) १६८, वि० शान । दे० (छ-१७७ पन) हंसराज पख्शी-राठ (इम्मीरपुर) निवासी खरोदय-उत्तमदास मिश्र कृत, लि० का० स० जाति के कायस्प विजयसनी के शिष्य, समी १८६५; वि० प्राणायाम की विधि का वर्णन। दे० (छ-३४०८) समाज के राधावलमी वैष्णव सं० १७४के लगभग घर्तमान, पंता नरेश दयसाहि, सभा- खरोदय-रसालगिरि गोसाई कृत; नि० का० सिंह और अमानसिंह के आश्रित, ये कुछ सं० १८७४; लि० का० सं० १६०५; वि० स्वर- फाल तक ओडछा में भी रहे थे। विचार | दे० (ज-२५६ यी) सनेहसागर दे० (क-२३५) (छ-४५ सी) स्वरोदय की टीका-रतनदास कृता लि० का० भीकृष्ण की पाती दे० (१-४५ ए) सं० १४२६, वि० स्वरोदय प्रथ की टीका । दे० जुगल स्वरूप विरह पपिका दे० (छ-४५ बी) (छ-३२०) फाग तरंगिणी दे० (छ-४५ टी) स्वरोदयपवन विचार-मोहनदास कायस्थ कृत; पुरिहारिनी लीला दे० (छ-४५ ई) निका० १६८७ वि० स्वर, भान और | हठी द्विज-कालिंजर निवासी. सं० १६४७ के आसन आदि का वर्णन । दे० ( क-५) स्वर्गारोहण-विष्णुदास कृत, लि० का० सं० लगभग वर्तमाना जाति के ब्राह्मण थे। राधा शतक दे० (च-8)