पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२२७

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[ १६४.] हरिमन-सं० १९०३ के लगभग: वर्तमान; जाति भहरि वैराग्य दे०(ख-१३५ ) के कायस्थ, टीकमगढ़ (बुंदेलखंड) निवासी थे। भाषा भागवन समूल एकादश स्कंध दे० तुलसी चिंतामणि दे०(छ-४%) (5-44) हरिजू मिश्र-सं० १७६२ के लगभग वर्तमान. शान सतसा दे० (ड-७२) आज़मगढ़ निवासी, दिल्ली के बादशाह और भगवतगीता दे० (छ-२५१) आज़मगढ़ के संस्थापक आजम खाँ के वंशज रामायण दे० (ज-१२०) के आश्रित थे। हरिद्वास-पन्ना (बुंदेलखड ) निवासी, जाति के अमरकोश भाषा दे० (ज-११२) कायस्थ, भैरवप्रसाद घख्शी के पुत्र; जन्म हरिदत्त सिंह (गजा)-ये शाकद्वीपी ब्राह्मण थे, का० सं० १८७६, मृत्यु का० सं० १६०० । शायद अयोध्या नरेश के वंशज थे। रसकौमुदी दे० (छ-४६ ए ) राधा विनोद दे० (छ-२७२ ) (ज-१११) गोपाल पचीसी दे० (छ-४६ बी) हरिदास (खामी)-निरंजनी पंथ के संस्थापक; अलंकार दर्पण दे० (छ-४६ सी) पीतांबरदास के गुरु, इनके विषय में और हारदास—सं० १८३४ के लगभग वर्तमान; जाति कुछ शात नहीं । दे० (ग-६४ ) (च-४७) के ब्राह्मण, बाँदा निवासी थे। हरिदास (खामी)-वृंदावन निवासी, प्रसिद्ध भापा भूपण सटीक दे० (छ-४७) साधु; टट्टी संप्रदाय के. सस्थापक; गंगाधर के हरिदास की वानी-स्वामी हरिदास कृत; लि० दौहित्र; धीर के पुत्र, शानधौर के पौत्र और का० स० १८५५, वि० सान और उपदेश वर्णन। नझधीर के प्रपौत्र, जाति के सनाढ्य ब्राह्मण, दे० (ज-१०६) (च--६७) पहले हरिदास पुर निवासी; सं० १६१७ के हरिदास की परचई-रघुनाथदास कृत, वि० लगभग वर्तमान, वल्लभरसिक, भगवतरसिक, स्वामी हरिदास का चरित्र । दे० (ज-२३६) विट्ठलविपुल और तानसेन के गुरु, वादशाह अकबर के समकालीन, ये हिंदी के अच्छे कवि हरिदास जी के पद-खामी हरिदास कृत; वि० थे। दे०(क-२६) (ख-१२) (क-६७) राधाकृष्ण के विहार के पद । दे० (क-३७) हरिदास जी को अध दे० (ग-१७१) हरिदासजी को ग्रंथ-हरिदास स्वामी कृत; नि० स्वामी हरिदास के पद दे० (क-३७) का० सं०१६०७, लि. का० सं० १७०६ । दे० स्वामा हरिदास की बानी दे० (ज-१०६५) (ग-२७१) हरिदास जी को मंगल--नागरीदास कृत; वि० बानी दे०(च-६७) (ज-१०६ धी) गुरु की प्रशंसा । दे० (च-४०) हरिदास–जाति के ब्राह्मणः सं० १८११ के लग- हरिदास स्वामी की बानी--अन्य नाम बानी, भग वर्तमान, राजा अरिमर्दन सिंह के स्वामी हरिदास कृत, वि० राधा कृष्ण के भाभित थे। विहार का वर्णन । दे० (ज-१०६ बी) (च-६७)