पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२२९

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1 १६ ] हरिराम-इनके विषय में कुछ भी मात नहीं। हरिलाल व्यास-सं० १३७ के लगभग वर्त- ईद रमावली दे० (छ-२५७) मान, राधावसभी संप्रदाय के वैष्णव थे। हरिराम-कवि लल्लूलाल के घशज; १६ वी सेवक चानी सटीक रसिक मेदिनी दे० शताब्दी में वर्तमान; आगरा निवासी; जाति (ज-११४) के गुजराती ग्राह्मण थे। हरिवंश चौरासी -अन्य नाम हित चौरासी धनी; जानकी रामचरित माटक दे० (ज-११६) हितहरिचश कृत, लि. का० स० १-२६ हरिराम विलास-व्रजजीवन दास कृत; वि० वि० चौरासी भक्तों की कथा का वर्णन । दे० गाजीपुर निवासी महात्मा हरिराम की परि. (र-१७४) चर्या का वर्णन । दे० (ज-३४ एच) हरिवंश चौगसी टीका-प्रेमदास कृतः नि० हरिराय-उप० रसिक प्रीतम, घन्लभाचार्य के का० सं० १७६१, लि० का० सं० १६१३, वि० शिष्य, श्रीनाथद्वारा मेवा 3 के महंत, जन्म हरिवश चौरासी की टीका । दे० (छ-२०६) कृत का० स० १७६५; ये सस्कृत और हिंदी के हरिवंश चौरासी पर टीका-लोकनाथ अच्छे कवि थे; संस्कृत में हरिराम और हिंदी लि० का० सं०१८, वि० हरिषश चौरासी में रसिकराय तथा रसिक प्रीतम उपनाम पर टीका 1 दे० (छ-२८८) देते थे। हरिवंशराय-सं० १८२२ के लगभग वर्तमान, नित्यजीला दे० (क-३८) जाति के ब्राह्मण थे,इनके विषय में और कुछ हरिराय-वल्लभाचार्य के शिप्य, विट्ठलनाथ और शात नहीं। गोकुलनाथ के समकालीन; सं० १६०७ के वैद्य विनोद दे० (छ-२६१ ए) लगभग वर्तमान; ये सस्कृत और हिंदी के गणपति कृष्ण चतुर्थी प्रतकथा दे अच्छे शाता थे। (छ-२६१ यी) प्राचार्य महाप्रभु की द्वादश निज धार्ता दे० हग्व्यिास-रूपरसिक और अलिरसिक गोविंद के सं० १८५७ के पूर्व वर्तमान, वृदावन (ज-११५ प) निवासी थे। दे० (छ-१२२) (छ-२२२) प्राचार्य महामभु की सेवफ चौगमी वैष्णवों की वार्ता दे० (ज-११५ घी) हरिव्यास-परशुराम के गुरु, १७ वीं शताब्दी आचार्य महाप्रभु की निज घर पार्ता दे० में वर्तमान थे । दे० (क-७५) (ज-११५ सी) हरिशंकर द्विज-सं० १६५१ के लगभग वर्तमान, हरिलाल मिश्र—सं० १८५० के लगभग वर्तमान, जाति के ब्राह्मण, राजा बरजोरसिंह के आजमगढ़ निवासी; पादशाह शाह लिम के आश्रित थे। आश्रित थे। गणेशजू की कथा दे० (छ-२५८) गामजी की वंशावली दे० (ज-१९३) हरिश्चंद्र कथा-कृष्णदास कृत, वि० अयोध्यानरेश 1