पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२३०

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राशा परिमल के भापति-काल का वर्णन । के लगभग बर्तमान, राक्षा पगपतिहरे 1015-६४) पचेर मा भिखारीस (पास), रतन कपि, हरियंट की कपा-मागमाय मिभ व वि० अपसादिमीर कर्ण रूधि के भाभयदाता थे। पाइरिमन के भापत्तिकाल की कथा का दे० (-40)(4-101) (1-104) (२९) पर्सना देव (४-१९) पारसहरी रिलास-महजीवनास तादित | दिवासामलाल-हितारिष सामी के पराज हरिवन नीको विमवयों का बना दे धापन निवासी परमामदादित के गुद थे 1 (ब-१५ बी) २०१७-२०४) इरिसहाय गिरि-मिहापुर निवासी स. RRE मामी दे० (८-१७) मगमग वर्तमान, ये सम्पासीथे। रितधारित्र-मयत मुक्ति कत, कि० सामी- रामाश्मेप दे०(ब-18) हिसहरिवन और सके भनुमापियों का 1-०१२ क संगमा वर्तमान, इसके पूर्णत। ३० (म-२३) पियप में मोर छाती हित पौरासी पनी-अन्य काम परिवंश चौरासी प्रभाती (७-२५६) हिसाहरियशस्वामी या शिका००१२ हरीसिंह-गगादास के पिता थे।२०-२५२) वि० चौपसी मलों की यादे०-tva) सपर-मके विषय में कुछ मात महीं। हित मी साराम की कमाई-जीवन पास सुरामा चरित्र (ब-१०४) कहा कि हिठारिश जी के नाम की बपाई। हाथी को शानिहोत्र--नार्दन म वि. शपियों के रागों की चिस्सिा का दम लव को मंगल प्रवास कसा वि०शित २०(८-१७सी) हरिषश की ममि (1-19 सी) हिंगोरा-राजा पृथ्वीसिंह स पिक भीषण वितरंगिणी-पाराम कत, निकास० राधिका क का पाने का पत) दे० १५-: कास१६0 कि. नायिका (सपा) मेरपर्यन २०१६-२-) (-) गिरा और रेस्रया-बीरधाम Bo) विमगार सीता-मुंपदाल, बिमाण मारिम सत्पता पहा (-१७ डी) की सघवन २०(-टी) शिंदी, अंग्रेमी और फारसी को-स्लमाल कत, शिवहरिलाल-हित हरियण के पुन पास नि0 08.लि. कामे गुरु स. १६७ सगमा वर्तमात घे। वि० काशी-4-२बी) दे० (-1) सिंदूपति-पना-नरेश महाराज समासिा के पुत्र तिरिवंश (खामी) वैष्णवों के ग्रहापामी और महायज परसा प्रयोजना २०१६ सहाय के समापनस -१६२५ तक 7