पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२४

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( R ) होता है हिफिर पहचान सर्व साधारण में कैमे | फिर पर्माहत तथा सरस्वती मारि पत्रिकामा में फैमा । स मम्पेपण करमे से यही प्रयोग होवा मी भूपरा और मविराम का माई मानकर हो सेव कि ठाकुर शिसिह संगर फत शिवसिंह सिधे गए। मागरीरवारिणी घमा से प्रकाशित सरोज चे एक कया से री या प्रा फैला शिवराम भूपण की भूमिका में मी भूपए है। उसमें चिन्तामणिकरिके पखन में विणा और मनियम को माई हो ला गया है। "हमके पिता दुर्गा पाठ करमे सिरप देवी जी के शकर प्रिपर्सन मे इटियन पर्नाक्युलर हिटरपर स्थान पर पाया करले ये । ये देषी को बन को मे मो यही वर्णन किया है। भु कहलाती है। टिकमापुर से एक मोम के मिम य महोदय मे माने प्रसिय प्रथ मिम मस्तर पर है। एक दिन महारानी रामेशरीमा पुनिनाद और हिही नवरसार में भी तथा पठी प्रसन्न पारि मुंह विजार पोली, यही पारो पंडित रामनरेश मिठी मे कविता कानुनी प्रथम तरे पुत्र होंगे। निदान पेसा बीमा कि (1) माग: मैं मी इसी प्रकार उमेश किया। सामणि (२) भूपण (३) मसिराम (५) जरा मस्तु मरतो किसी को भी पद सदेव नरह शहर यो मीलकंठ धार पुष उत्पन्न हुए । मागमा दागा कि मूषण और मतिराम मामये। केवस मीलफ महाराणे एक सिम के भाषी इस विषय में मैंने खप मी चिसामणि, भूएस वार से विहुप्त शेर तोमो भाई सकन काम्य और मतिराम का पान से प्रयों को इसी विचार को पहिसे परित पकि उमका माम मतप से देखा कि शायद कही मूरण को मतिराम का तक पानी हेगा माई पठलाया गया हो, परंतु मेरी पहभाशा पर सवत् 180 में मचल सपन। सप श्रीयुत परित शुदेव बिहारी शिर मेस में छा। इस प्रप के बनाने में गी | मिम और परित पबिहारी मिभ को इस शाकुर साहप को ना मग २० वष से कम कदापि सम्बम्प में पत्र लिखे । प्रथम मसानुमायने तो मसार हाँगारससे प्राचीन कोई प्रयास मे में महीं ] पोत्तर में केवल यही मिका कि हमने किमती मापा जिसमें भूपय और मतिरामको माई माता के श्रापार पर लिखा है। रितीय महोदय ने उत्तर पपारसी भावापिका के मापार पर सर्प दिया कि यह विएप पावर्षजनक है। मेमे बहुत पर प्रति वर्गा कि मूर भोर मठिराम गाईजी पुस्तकों को पा. परत मुझे कही भूपण को भागपामो प्रेस में प्रकाशित शिया- मतिराम माई शिक्षा नहीं मिला। राहोंने कष रंगपनी मामक पुस्तक की भूमिका में मी यही माप प्रयों को देखने की राप मीरा जो कि उनके मारपापिका पाए परिपतन के साथ दो पास नहीं पे भार काम में प्राप्त हो पुरे थे, परतु समालाधक और पमागर पत्रों में भी पिघु • शिवरायमाप भूमि E-t.। मारय म परमनिराम का मार लिया। +मितिमो पुर। त्रास -10-1 -सिरोरा १३ xरतिामुहीम भाग -१५५ । 14