पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२६

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केपणादि का परिचय नहीं दिया गया है। परतु सवामयत मगषतराप राखा में उनका पर निwिat कियोसपुर राज्य के रहनेवाले मृत्यु का सवत् । वि० लिया है। ये सदा सेवक जाति पौराह्मण और ७१३ मैं | मन महाराज मापतराप रासकषि और बर्तमान चे। यदिपेप्रसिर वषिसे भिषकोई समके मर पर यह सा रखा गया है जो कि को रे मन । यदि मिमयमों में इन्दी को ममी दाल में ही जोश में मिला है । रिपिकृ प्रसिद्ध कवि पूद मरना हो सो कि सत्मा गजेरिपर प्पी जिता फरपुर लिखा है रंगार शिक्षा, भाष पाशिका मावि प्रगौ के रख कि नपाए समावत को मारा मगधंग राय चौथी पिता थे, वो अमका कपम मम । पिनाया और सन् १७४५ संबद १८०२ में मारे गए थे। परतुगडे नबरात में भूपर का मस्यु पाम सबर १७२ मामा रियर का समय माय और रासा समय गया है। मूपण मे पक कवित्त महाराज मगषठ विकत ठीक प्रतीत होता है, क्योंकि पारसी पय पोपी असोथर मरेश के पत्तोक गमन समय का रखा मा है। अतः यह निमित कि पमाद उनकी प्रशसा में मिला था। वह कवित्त मूपय कषि संपत् १७६७ वि०पक प्रपश्सबर्ग इस प्रकार:- माग घे। भवः बलका मुस्यु का सवत् १७७२ “रटि गये माहम से महक सिपाहिन मानना मिठीत माल है। उनका जन्म का कोरठि गये पा सबबीतापामेको। सवर १६८२ अनुमान किया गया है इस हिसाब भूषण मनत पर्म पर से चठि गये, मे कम से कम भूपण की भवला सपत् १७३० रटि गपे सिंगार सबै माल राहे कोक १०५ वर्ष की हारती है, और उस मा में गटिंगे पनि सुशील रहिगे यशानीलामी पेसो प्रभाषशालिनी कविता दिन सकमा फेस माप पण में समूह तुरकामे को। ही प्रतीत नहीं होता। अठा शनका बाम काल झ्टे माल मिथुक के सूज ययावत सप, सष १५६२ मा मानना प्राय । समान भरराप हरे रुसणंम हिंधाने को। कास पिपप में कोई ठीक ठीक भतुमान नहीं किया जा सकता। इससे पर पतीवदाँताकि मगषतपय विमिर सरोख में इनका अम्म काम बीबी के मारे जाने के पश्चात् उनको रायर में भूपरमेषद व बाद सक्त ५७२- वि०मामा सन् २०१कोचोग •सीबी निम पुरको तिधि- हनु सरा सतायोकातिर मंगळवार। मारहार पत्रिका ... मित मोपी संग्राम मौ पिरिय सभा संसार बापा.१६चल पार्वत गापरासा. +मिभनिोर 1.५७। शिरिरमा गरियर पू पी बिर..१.. +रापय भूमिका . . । बिनो. माराम रामनगर(पुत्रा सार) पिनमा पुम्मनाप पिला था। रामबाण+115 प्रशिक्षित करीब 401 0