पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/३०

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मूषण को महारास शिवाजी के दरबार का घटित प्रवीस होती है। महाराज साह के शिकार चमकवि मानमे से समय कविता का पर्य। मेशने का वर्णन मी इसी मरमा से सब प्रीत से मी अधिक रहता है, परन्तु इतने समय तक होता है। भूपण में भपमा प्रतिय प्रप शिवराम कविता करना भव सा ही प्रतीत होता है। मूषप्य शिवाजी को मायक मानकर हिला पारा महाराज गिपानी कारेदाम्ब सन् १६०० बमा धुके होंगे राव महाराज साह की सेवा २७ किएमा था । यदि भूपठ शिवाजी के स्पिटप होंगे, जिस पर समको बहुत सा पान साध रहे हो तो उसस पूर्ण रुद्राप सोलकी विष भीर मामानि कि मोर पहाँ त सम्मान एमा। रामपति और सेवा मरेश प्रवपूतसिंह - पहमी प्रमौत होता है कि उनका गमनागमन (सन् १७००-१४५) यहाँ भी रह चुके थे। पूत दिनों तक आरी था । उत्तरी भारत के उनकी माप के नमक के लिये लामा र की पत से मनुष्य शिवानी को रात और घटेर कहावत से मा यही प्रतीत होता है कि कम से का फरवे पे और ऐमा ही मामते मोथे। परन्तु का २० वर्ष की अवस्था में महान पड़मा प्रारम मूपम ने उनको बहुत से सदगुशों में भूषित किया था। इम सप बातों पर विचार करके यही रिभर्म रक्षक चौर जातीय ने माना है (जैसे मानना पड़ता है कि उनकी भवस्पा शिवाडी कि पचाय में पे), मोर पदोनही हमको भर वेदात के समय 10-10 वर्ष की अषय रोगी भोर का भावार तक बताया है। इसी कारण मूषण सरका भगषासराय बीवी मृत्यु धमाके समय का महाराष्ट्रों की मार से भरपधिक सम्मान प्राध १०वि० सकसीपित इमा निश्चित सामा था। मता उस समय समकी भवस्ण ११० पप बस सार महाराज के पास से लौटे तो हानी पाहिए । बीपी की मृत्यु के समय नित महाग्रम छत्रसाल के पार ये 1 गागोंने देखा प्रकार की भाषपूर्ण कपिता सम्होने रही है, उसकि भूपन को पर तो पात मिल चुका है, मैं ससे मौत रोवार उम्की रखना उस समय भी अधिक मा पा सकता है, तब उन्होंने समकी विकास पा रही थी। शेषस्था कारण सामे | पालकी में रुपा लगा दिया था जिसका पेजकर का दीयतामही भाई थी। परातु वस भवरपर ) पण पालकी सहल पर और उनका रोकार मैं इसमी व काटि ही कबितर कर सकमा टिन | उसी समयकांवित उसको परासा मेसेजिनमें है। मेग तो विधास पदई कि मावि भूपण समकका एक पद या मी था-“साइको सपड़ों शिवाजी सदार में ही मही, परन् से उकसी साप्त कीसस भी यही भवीत पौर साह महायणक दरबार में थे । और शिवाजी होता है कि भूपप सार ही दरबार में थे, मा और भूषण सम्मिलन को गे कथा प्रसिर बा निवासी के दरबार मै नही थे। भारत में सार मोर भूषण पिपप में पपयुक परसेपर मी मवीवोवा है कि मीरित्र गरिपर 10 भूपमय में साइके प्रति अत्यधिक सम्मान पापारास राण समिति 10 था। प्रिपाबी मीपण कास में भूल से