पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[ ] इतिहास सं १९१४ से २८ नक। दे० ! वि० प्रमजान, अन्य नाम गम्द गायनी, बानी, (छ-३२६) शन्दमगन या नम । दे० (ज-२५%) अक्षर-अनन्य-सं०150 के लगभग वर्तमान अगहन पाय—वैकुंठमगि शुक्र कृन लि०का० दतिया के कुँवर पृथ्वीराज के और महा स०१५ वि० श्रगहन मान के स्नानादि का राज छत्रसाल के समकालीन । माम्य । दे० (च-बी) अनुभवतरग दे० (छ-२५) अगाध मंगल—कबीरदास कृत वि० योगाभ्यास राजयोग दे० (छ–२वी) का वर्णन । दे०(ज-ए) प्रेमदीपिका दे० (छ-२ सी) अगुन सगुन निरूपन कथा-शिबानं कृत, क्षानबोध दे० (छ-२ डी) नि०का० स०१-४६ दि० का० स०१८६०. सानपचामा (अनन्यपचामा) दे० (ह-ई) वि० बेत्रांत ब्रह्मनान । २० (घ--5) कविता दे०(छ-२ एफ) अग्निभू-इनके विषय में कुछ भी मान नहीं । दैवशक्ति पचीसी ( शक्ति पचीसी या भत्ति भयहर लोर, अन्य नाम भक्ति मो इति अनन्यपचीसी) दे० (छ-२ जी) म्तोत्र दे०(क-१५) उत्तमचरित्र दे० (-२एच) अग्रग्रली-वैष्णवसखी सम्प्रदाय के अनुयायी। 'भवानीस्तोत्र दे०(छ-२ आई ) थटयाम दे० (ज-२) वैराग्यनग्ग दे० (छ-२जे) अग्रदाम (स्वामी)-सं० १६३२ के लगभग वर्त- योगशास्त्र दे० (छ-२ के) मान. वैष्णव सम्प्रदाय में: नाभादास के गुरु; अक्षरखंड की रमैनी-कबीरदास कृत, वि० कृपादास पयहारी के शिष्य: गलता, आमेर झानोपदेश । दे० (ज-१४. सी) (जयपुर राज्य ) के निवासी । दे० (ज–२०२) अक्षरभेद की रमैनी—कबीरदास कृत वि० हितापदेश पपागा बावनी दे० (घ-६०) शान । दे० (ज-१४३ ची) ध्यानमजरी दे० (छ-१२२ ए) अखंडप्रकाश-सदाराम कृत, लि० का० स० रामध्यान मरी दे० (क-७) १८७३, वि० यात्मज्ञान । दे० (ज-२७२५) पुंडन्तिया दे०(छ-२१ यी) अखंडवोध-जानकीदास कृत. लि. का० सं० अग्रनागयण-बैष्णवदास के समकालीन; रामा- १५. वि० चेदांत । दे० (ज-१३५) नुज संप्रदाय के चैपब स०१८४४ के लगभग श्रखरावट-मलिक मुहम्मद जायसी वर्तमान थे। का०सं०१६४३, वि०घेदांत ज्ञान । दे० (ग-10) भस रसबोधिनी टीका दे० (ड-) अखरावली-नेघाज कृत नि० का० स० १८२०, अचलसिंह—यीरसादि के पुत्र और सवलसाहि वि० वेदांत ज्ञान । दे० (ज-२७) के पौत्र वैस डौंडिया खेरा (श्रवध) के राजा प्रखरावली-रामसेवककृत, लि० का० सं०१६४५ शम्भूनाथ त्रिपाठी और दयानिधि के आश्रयः लि०