पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/४४

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महागाम-अपमाधि पाण्य की। वि० गौतम पली प्रतिस्पा की का। . भाउ पार की दिन-बा। दे० (ज-२६५) (1-40) माष्टमाय--वफपि (देवदतलि. का. मापारमनी भावार्य, Natya - संकर पिक रामायण की पाठ पहर की मग पर्तमामा मामी (पाप) निवामी थे। विम-मया २० (क) निक मापार ६०(क-१०२) ० (घ-11 माधाय नी महामापून की द्वादश निज वाई- भजामहरिमायाप सालिका०म०1४०३५ हरीएपना विमायके भाचार्य दिखीताराम की दिम-घया।३० (१-२६२) की कपा। वे० (-1) मनाम-करानि प्राय fao RTo म १८६४ माचार्य मी मगरसून की निग वात वषा पर वि० सीताराम की भाळ पार को पिम मा। साहिरीएप , विपक्षम प्रदाय की २० (-2) भनर पाते । २० (ब-११५ सौ) महमाम का मारिक-महाराज विश्वमासिक भाषा नी नमून के सेरक पौरासी पण मि० का०४०वि० सीताराम चिनकी मार्ग-दरोराय हव वि० श्रम दिन-ब-।०(घ४)(-५३) संप्रदाय चीपती शिर्ष प्रदेश भाषा-अति रसिक गार्षिद कपदि. (ज--११५ वी) सपाहमा का भाठ मापाभों में आर-पक्षन। मानमखों-माजमगढ़ सस्थापक हरिमिम ३०(-१२२ बी) समाधव मामयवासा के भागयोगानक गुर , वि० योगाभ्यास सगभग पदमाम, दिशी के वाण मुहम्मद १०(4-118) गह के प्रामिया (अ-२१२) (-२०) भागयोग-परगास व्य, लि0 का० स०१६ ५ मार सय दे०(ज-११) विपाग। (च-१७) भाभम शार-दिशी के बारगाह मोरपडे भटापक- मोहन कपि (सबसनेही) तनिक पुम और मदार कपि के मामपदाता। र सहि का० स० पि० पात्र विचार, मायापार और भदेत घेदान्त । पाठों सासिक-पुषसनी कसा लि. का०६० IY विकरायाकरण काय भाव पास। मारगिरि-दर मस्करगिरि, गजा हिमत दे-ग-३०बी) बहादुर के शिष्या गुसाई समाज क मा मौरभातम-न विषय में वास माही भाविकाचार्य। सं १९y लगभग यतमान। हरितदे.(ग-38) रतमोर दे(च-३२) श्रावमभोप-पेन्देश सामी कता लि० का. महिन्या पूर्व प्रसंग-पारहट मारिवास कला पपिमामान 10-१) 1