पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/४५

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[ १२ ] आत्म-संबंध दर्पण-जनक राजकिशोरी शरण रसकेहि मही (कविता संग्रह) द. कृत, लि० का० सं० १९३०, वि० शान उपदेश । (क-७६) दे० ( ज-१३४६) कृपाकद निरप दे० (घ-६६) आत्मानुशासन-टोडरमल कृत, नि० का० सं० | आनंदघन के कवित्त---अन्य नाम रसकेलि बली; १८१८, लि० का० सं० १९२७; वि० गुणभद्र मानधन कृत विश्वरीय प्रेम के कवित। स्वामी के अध्यात्म-विषयक संस्कृत ग्रंथ की दे० (क-७६) (छ-१२५) टोका । दे० (क-१३४) आनंद दशा विनोद-ध्रुवदास कृत वि० राधा मादित्य कथा बड़ी-भाऊ ( दास ) कृत; लि. कृमण विहार लीला भजन माहात्म्य । दे० का० सं० २७६५; वि० पार्श्वनाथ कथित जैन (क-१३८) (ज-७३ सी) मतानुसार सूर्य नारायण के व्रत की कथा। आनंद मंगल-मनीराम, कृत, लि० का० सं० दे०(क-११४) २०२६, वि० दशमस्कंध भागवत का अनुवाद । आदि मंगल-विश्वनाथसिंह कृत, वि० कधीर- दे० (छ-२६०) दास के बीजक की टीका । दे० (ज०-३२६ ५) | श्रानंद मसीह-ये पहले ब्राह्मण थे, सं० १८८० आनंद -उप० अनद दे० (ध-३७) में ईसाई हो गए; इनके अन्य कुटुंबी अपने आनंद ( कवि )-उप०अनंद । पहले धर्म में ही रहे; इनके पुत्र ने यंत्रराज कोकसार (कोक मजरी ) दे० (छ--१२६) विवरण नामक ज्योतिष ग्रंथ रचा। दे० (ग--4) भानंद अनुभव-पानद कृते, नि० का० सं० मानंद-रघुनंदन नाटक-विश्वनाथसिंह महा १८४२, वि० उपासना-युक्त आत्म-ज्ञान । दे० राज कृत, लि० का० सं०१८८७, वि० रामचंद्र (घ-३७) जी का वर्णन । दे० (छ-२४६ ) (3-३८ आनंदघन-कायस्थ, जन्म का० स० १७२५, मृत्यु आनंदराम-सं० १७६१ के लगभग वर्तमान । का० सं० १७६६, देहली के बादशाह मुहम्मद भगवद्गीता भाषा दे० (ख-८४)(छ-१२७) शाह के आश्रित, अंत समय वृंदावन चले गए, परमामद प्ररोष दे० (छ--१२७) और नादिरशाह के हमले में मारे गए। यह भानंदराम-३० “अनंदराम” । ( स्व-५६) गान विद्या में भी निपुण थे। रीवॉ नरेश रघु आनंद रामायण-महाराज विश्वनाथसिंह कृतः राजसिंह ने अपने भक्तमाल में इनका वर्णन इसमें बालकांड नहीं है। शेष कांडों का लिक किया है। उप० धनानंद। दे० (क-98) का० सं०१८८०-१८६०, यि रामचरित्र वर्णन। आनदघन के कवित्त दे० (छ–१२५) दे० (स्त्र-६) (क-७8) आनंदलता-ध्रुवदास कृत वि० राधाकृष्ण मुजार सागर दे०(क-98) विहार । दे० (ज-७३ डी)