पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[ 14 ] उचयनीनिचदिका-प्राए माम ध्रुयाएक नीति ३० (ज-१६) राममहाए कवि महाराज पिबमासिहरन, वि. का.स. २० (-२५) गणेश ऋषि जि० माचार र मोति का पण ३० (स-28) मुलाप्त ऋषि । २०(५-२४४) गीप, दे० (-०६) रसपाला-महाराज मानविद मागणे | दोससिंह-पोरधानोन म० १४४६-१७४२, दाम)एम, सि.का.२, विकराया पर पप्पोराक पिता, दे० (4-२८) गाभप रुप्या परिसय का रागणिनियों में पान। दे० (-२) २० (-११) पीकषि ३० (१-५) पमराम कनि उदय-चित् उपयमारवाद का उप० बानपुण (शाप) निवासी सण 150 के लगभग पक्षमा दे० (५-६२) नाघिस कषि (चंद्रममि)। कालीरास रिपेयी के पुत्र प्रदा यि पिता|| उपशारि- बाबा साहस मुहमदार सत्ता भोगीचा (क-६) लिकाविधकारे० (-१२) विमोदधि (-1) उपदेश भएक—ामोदर देवतालिकामा रसोय दे०-२५६) (३) वि०माचारिक पवेशादे०(प-ससी) तुम्हा कषि के पिता २०१५-४२) परेशानी हुनसीबास मालिक २० (अ-39) ५०(प- ३-२६८). 1०स०१६ पिपरी २०(ब-३जे) मशरण मनरी-एल्यूमाई कत, नि० ० स० सपनिपद भाष्य-(महात्) नि० का० स० HEALलिका० स०1300 मिलचर लि.का. स., यह पुस्तक वारा पिकादको मागम ससत से फारसी में. बदिव कीर्ति काश-प्रदान कपि सनि. UP में अनुवाद कराई गई, उसी का यह ०१०EEमिका ९० पदी वि० हिंदी चनुवाद है।यिक उपनिषदों का मनुवार। काग्रीमा निधनारायसिहा यश-वर्णन। (२) उपमिषन को परग (कोपनिषद् (३) शिवसंक्रयापनिषद ()शतस्यी सपनिपा (५) उदित नागपणसिंह-छाशी-मरेश स० १८४२ मैत्रापणी (३) पदारण्यक (७) कराशी (E) १८६५ महाराज परिपासिंह के पुत्र निन्न पापसी (8) मुपएक (10) फठापतिपद (११) सिमित पियों के भाभयदाता- वैवरम (10) मसूतवितु (1३) प्राययंशिर २०(ब-१५)गोपुरानाप कवि, (10) मामलाप (१५) सापनिपद (१५) मगिदेव पीर गोपीनाथ (र-५) मीमरद (1) गोपितु (1) सोपनिषद २० (प-8) प्रझदर कपि (1) अपशिखा (२०) सिंह तामाप ३० (घ-१७) प्रहसास पि सपमियतू । २० (-३) (1-11)