पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/५

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(२) संयुक्त प्रदेश तथा अवध और पजाय में प्राचीन पुस्तकों की पोज का मी उचित प्रबंध कर दें। हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों के संग्रहों के खोजने सरकार की इस प्रामा की अवहेलना की गई और की चेष्टा की जाय और उनकी एक सूची घना उसके अनुसार कुछ माँ कार्य नहीं हुआ। यह जा सके तो आशा है कि सरकार के संरक्षण, अधि- अवस्था निकर मार्च सन १८६४ में समाने प्रांतिक कार तथा देख रेन में इस खोज की अच्छी सामग्री | सरकार का ध्यान फिर इस प्रार प्राकर्पित किया। मिल जाय। पर सभा उस समय अपनी बाल्यावस्था श्रय की चार सरकार ने इस कार्य के लिये समा तथा प्रारभिक स्थिति में थी और ऐसे महत्त्वपूर्ण को ४००) को वार्षिक सहायता देना और प्रोज और व्ययसाध्य कार्य का भार उठाने में सर्वथा | की रिपोर्ट को अपने व्यय से प्रकाशित करना असमर्थ थी । अतएव उसने भारत सरकार और स्वीकार किया। उस समय से अब तक सभा इस पशियाटिक सोसाइटी बगास्त से यह प्रार्थना की काम को परायर कर रही है। अपनक आठ रिपोट कि भविष्य में हस्तलिखित सस्कृत पुस्तकों की प्रकाशित हो चुकी है जिनमें से पहली ६ (सन् खोज और जाँच करने के समय यदि हिंदी की १६०० से १६०५ तक) तो वार्षिक हैं और शेष दो हस्तलिखित पुस्तकें भी मिल जाय तो उनकी सूची | ( सन १६०६-१६० और १६०६-१६११ ) त्रैवार्षिक भी कृपाकर प्रकाशित कर दी जाय । एशियाटिक | है। नी रिपोर्ट छप गई है, पर अभी प्रकाशित नहीं सोसाइटी ने सभा की इस प्रार्थना पर उचित ध्यान | हुई । दसवीं और ग्यारहवी रिपोर्ट संयुक्त प्रदेश देते हुए उसकी अभिलाषा को पूर्ण करने की इच्छा की गवर्नमेंट के पास विचारार्थ भेजी जा चुकी हैं। प्रकट की। भारत सरकार ने भी इसी तरह का संयुक्त प्रदेश की गवर्नमेंट ने इस खोज के काम के सतोषजनक उत्तर दिया। सन् १८६५ के प्रारभ | लिये पहले बार्षिक सहायता ४००) से ५००) कर दी, में ही एशियाटिक सोसाइटी ने खोज का काम | फिर १०००) कर दी और अब वह २०००) वार्षिक बमारस में प्रारम कर दिया और उस वर्ष लगभग | सहायता देती है। पंजाय की गवर्नमेंट ने भी गत ६०० पुस्तकों की नोटिसे तैयार की गई । दूसरे तीन वर्षों से अपने प्रांत में प्राचीन हिंदी पुस्तकों घर्ष उक्त सोसाइटी ने इस काम के करने में अपनी की नाज के लिये ५००) वार्षिक सहायता देना असमर्थता प्रकट की और वहीं इस कार्य की इति प्रारभ कर दिया है। श्री हो गई। यह दुःख की बात है कि इन पुस्तको सन् १६०० से लेकर १६० तक की सात की कोई सूची अब तक प्रकाशित नहीं की गई रिपोर्ट ता मेरी लिखी हुई है और सन् १४०-१६११ है। सभा ने संयुक्त प्रदेश की सरकार से भी | तक की पाठवीं रिपोर्ट पंडित श्यामबिहारी मिश्र नोज का काम कराने की प्रार्थना की थी। प्रांतिक | एम ए. की लिखी हुई है। इनमें से पहली छ: सरकार ने अपने यहाँ के शिक्षा विभाग के डाइ- | रिपोर्ट ( २६०० से १६०५ तक की) तो वार्षिक रेकर महोदय को लिखा कि वे सस्कृत पुस्तको फी है और शेष दो (१६०६-०८ तथा १६०६-११ वाली) खोज के साथ ही साथ उसी ढग पर ऐतिहासिक त्रैवार्पिक है। इसके बाग की नवी रिपोर्ट भी जो तथा महत्त्व की हस्तलिखित हिंदी अभी काशिन नहीं हुई है, पडित श्यामाबहारी .