पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/५०

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करा भनिरुद की कपा-मारत गाह कतनिक लिक का सार वि० ईपर मक्ति का० स०१७ PिO का और भनिचर विवार का वर्णन। (-४ए) पकादशस्तप भाषा-अतुरबास, नि.का. पापा-मालदास इत) लि. का. स. ९०११४२लिका०सं०१७६५. चि. माण- PREET वि० कया भनिष्यसीच्पर। २० श्व के गाय कपमा मायानुवादा वैराग्य । (स-१७०) (ज-110) सपा-बरिषदास , मि० का० स० एकादशी माशरम्प–कम्णवास या निकाल १३॥लिका- स. वि० सशौर स.१५०वि०पकारी का माहात्म्य पर्सन। अनिष्ट की कपा।१०(२२) दे०(-४सी) रान-स. १६० के लाभप वर्तमान परि एकावशी माहात्म्य-सिकवास का शिका- याका मण महाराज गदसिंह के प्रामित। स० वि० एकादशी का माहात्म्य ।दे० बसंत विहार (-1) (१-२१८) श्रामदेव की कपा-महाराज अपसिह एकादशी माहात्म्य- दिमिका देव कप वि० अपमदेव भगवान की कृपा। वग्री का माहारम्य । (.-१७) 20(क-५१) एकीभाव भाषा-पाति कपि, वि जैन रिकेश--०१00 के लगमग पठमान, मा मत का बना(क-०१) गर निवासी। प्रोकार मह-अक्षा (मालया) निवासी मनु उस्मोपदे० (-२२१) मानता र दी शवाणी में वर्तमान, रितिकसम एर भूपाह के भामित थे। अधिनायकपि सेवकराम के जो कि महाराज मुखसार दे० (स-२१) बनारस के मारे बा देवकीनन के मामित था, पितामह थे। (ज-PE)( मोरधा समपो (रासो)-चबरपाई कटा वि० युर वर्णन । ३०-४६ सी) {) I मोरीखास गर्मा-मनुमामत सपा प्रतापी में पिएचपी कया-मासीराम कृत; वि. माहो प्रापंचमी के पूजन का वर्षमा २० (-१७) रमन नामक (-२१) ऋषिपरमी कपा-कृष्णास लि का सं० भौरंगमेवमुपपरा का प्रसिर समान। वि० भादों या पबमी के ऋषि-यूजन का०सं०१५-१७६ निम्नलिखित कवियों कापसमा भविष्य पुराण के मापार पर दे० का मामपाता, मतिराम यि ३० (-४), पर कवि० (ग-1 परमपि (-५), सौ दो दोनों का संग्रामनरास रुवा कानियास त्रिवेदी (प-१७)। 7 वर्तमान।