पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/५४

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पर सियार ० (-1०५) १६00 लि.का.स .२, वि. पहलबानी। करमसर की रमैनी-बीररास वि०प देश। दे०(३-१४३ एक्स) कलिपरिप-बारकवि मत मिका० सं० करीमशाह-कारपुर (हुरेलकर) निवासी १५७दि० कलियुग का वर्णन ३०-३४) कालिमायाह के पिता दे०(५-६५) कशिपरिप्र--सभाषदा, निका० स०१001 करणा-पीसी-माधवदास स, वि. करमा वि० कलियुग का चरित-बाना दे० (-२) महिला-E) कलियुगरासो-अखि रसिकपोशिव कत, नि. करणामरण नाक-कप्सीपन बधीराम का० सं०१५ लि का० स० वि० कत कि का० स०१७, विपणनीता। कलियुग का पूपित जीवन । (-१२२ दे०-१२) (-) उप सहीरामा सी)(म-२०ी) कम्किचरिक-पाणनाथ त्रिमेवी प्रस, मि०का० कर्णपर्व-सरमसिंह चौहान कृता मिका० सं० १७६५, हि० का० स०१ERE वि० करिक स०१७३३ मि.०स०१४३ बि०कम्- अपवार की मविप्य-कपा (प-स) पर्व का भाषानुबाद। २०(८-१२४) बर्म पचीसी-(ममा ) लि० का स० १७७ कम्याणदास-सिय शवदास के भाई, हर वि० ममतानुसार जीव और कर्म का बर्मन । सेवप्रपितामापे।देव() दे.(क-२) कल्याण-मंदिर मापा-बनारसी कवि कप वि० कर्म विष-सूप (एस) कषि रुप हिo मनस्तोत्र कपास-मदिर मत का मापा सं० १-३२५ वि० स्पोतिप । २०४-३०५) नुवाद । ० (-१०४) कर्मसिंह पतियाला नरेश, समग कन्यामा-पृथ्वीराज पटौरविवाद बोका भग वर्तमाम; कवि निहाल मोर भूपति के मेर नरेण स०१५ में गद्दी पर बैठे और भाभयाठाये।२०(५-१०५) (क-२) भत में पज्य का भार अपने स्त्र पुत्र राव कलानिषि—इस नाम के दो धि पाप जाते रापचित्रको सोश(03) धनमे से एक १७ वी शवानी के मारंम और कन्याणसिर-अमरावती के राजा स० १७१० दूसरे १ मीरातामा के मध्य मे एप 1 के लगभग वर्तमान सिंह के मामपाता मधिव() थे।दे०(५-२३) कखापरीन-प० प्रयोग, स. १८१८ के लगभग विश्व कंठगमरण-कषि दूम्हा , दि. बर्तमान। मम्मकार काम्य । ५० (-) (-५९) स्त्रीलार 1०(५-३०) सामारकर-वामीसिंर रुता मि० का० स० पिकत कापतक-वितामणि त्रिपाठी कृती