पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/५६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कनि पानप-हरिचरणदास कन: मि० का स० स. पिक काम्यात प्राक्षणों की वणा लिका० स पिकहिंदो मापा पक्षा।प-२६) साहित्य-भासकार, मापिका, मेव प्राधिकार--कास (4-490) शिक्षक (घ-०) करि सम्बमरल-गोकुरूनाथ ER, सिंक हा. सी-पि0(2010) 2 म01501 पिप्रमचर। दे० (4-२५)(-कामरुप फ्री क्या-मयक मि , वि० राजकुमार कामरूप र रामकुमारीकी कषि-स्वभालिका-रामनारायर (प. एण क्या, लिबास र.12 (--) रास) TARO RO - दि. मरित सरपी पितामोका सपहा ३० (१-६) कासिदास-पमिर फाशिवास त्रिपेदी मही कीद--अमेठी में राम गुलसिंह के प्रामिन, कान पाने प्रमके विषय में कछ भीकासन HOMEसगमा वर्तमान पदामिन रहा बमरणीता दे० (ग-1८४) कपि के पिता । ३० (क-६८) फालिदास-पहा कषि क पितामहा उदयनाथ पीप दे० (-२८)(म-४२) फादक पिता पाशाह औरंगजेप के माभित्त, जी--ए० सरस्वती, बनारस निवासी स० स. १७५१ लाभग बाहेमाम, मह में जा १६७लगमग वर्तमान। मरेश जगजीतसिहक माचित । समरसार दे० (-१) पामा मात्र मिजाप विमोइ ० (-1) जादावार्थ- पिपप में इक भी मार मही। मंत्रीतर ०(24) (-१७८ ५) भोगमार दे० (७-४६) मपुस्लिोर दे० (-१) कारा-महाराज विभ्यगाथसिंहास, दिनाना शबिरास मा द० (१-१६१) कम्प माम पपरा । २० (ग-३६) रतनपारा. (प-४३) (-1) काभिमभली भपान- In खामग (9-6) (544) (6-115) वर्तमान कवि लस्मी लार की सहायता से काहीररण-स० १६०२ के लगमा पक्षमागा भाषा की पुस्तक सिंहासन-रतोसो का माम्पुर के राजकुमार रामेश्वरसिंह के बाड़ी वाली में अनुयार किया। श्राभित थे। सिंहासन बत्तीसी १० (-100) पानपरप(र-८९) कादेवरी-पराश्य छत, मि का स. 2001 काम्प सारर-नाप मार लामि.. मिलकापही पिलधाएमा की फायनरी ० १० लि. का० सं० १ वि० का वापर मागनुवाद । २०(च-4) गापिका-मेव, मनकारादि । ३० (प-२५) कान्यात पशापली-(भारo) सि. फा० (ज-३१) .