पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/६

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मि की लिवीया दसी भार ग्यारहवीं की प्रप के विपप का विवरण और रिपोर्ट लेकर रिपोर्ट राम बहादुर पाम् हीरालान्त की निजी है। कवि और उसकी पति फ पिषय में मी विधार दामों रिपोर्ट गपमैंट के पियारापीर। यह या सिसात रहत है। इस प्रकार पूरी रिपोर्ट के सक्षिप्त विशरण मन् 1800 से लेकर तक प्रस्तुत हो जाम पर रिपोर्ट लेषक मुबप मुख्य की = रिपोनों के आधार पर प्रस्तुत किया गया। दासी का मोल प्रतापगाक में करता है। इन नई रिपारी प्रस्तुत करभे में पितो सब रिपोरों में हिंशी साहित्य का इतिहास प्रस्तुत रिपोर्टों को बसमा पड़ाया था और प्रत्येक कवि या करने में बड़ा काम किया है। पहले परख सन् उसके मध की वा नई माटिम पार होती थी, मैं ठाकुर शिवसिंह सेंगर मशिवसिंह सरोग पसके सम्पप में यह जानना मायापक था किमाम का हितों का इतिहास उपस्थित किया। इसके पिनी रिपारी में इस विषय में क्या मित्रय हो मर्मवर सन् १र में शहर नियसम मे Modern बुराई। इस सत्र काम क लिए रिपोरों को यो Versnealar Literature of Northera देखने में पड़ी कठिनता होती थी। मिम शोगो कोम | Hindustan सिसा। सन १६३ में मिम बघुमो रिपोरों के आधार पर पह बानम को भाषश्यकता | में विभाग विनाइमाम का प्रप लिया। हिंदी दोधी यी कि किम कवि के विषय में क्या पता लग पुस्तकों की साज सजा सामग्री उपस्थित दुई थी, बुध है, उन्हें भी विमा सा रिपोरों को देखे सतोप उसका इस प्ररा में पुप पूग उपयाग किया गया नहीं हो सकता था, वासि प्रति वर्ष मागायों का सन्दरमै मिस्नर पीठ मे मोर सन् २० एका लगमे स पुराने सिमांतों में हेर फेर हो जाता में मिसर के न हिंदी साहिरप का संक्षिप्त इतिहास पा। इसलिये यह सहित बियण प्रस्तुत किया | लिया। इन दानो प्रयों में मिभ बम्धुबिनाद खे गया कि एक म्मान में सर सामग्री मिल जाय। अस्प सहायता की गई है। मागेस पेस विवरण प्रति न संपार किए सन् १६२० में काशी मागरीएचारिणी समामे एक उपसमितिघसघटम इस विबारस किया पार्टीका प्रस्तुत करने को पपस्सा यह थी कि पहल परपस पुस्तक का एक मियरण तयार पार कर सिर्शत स्थिर करें जियो भनुसार कि अब तक मोड का का काम एमा, उस पर किपा मावा था जिप्सम प्रथ का माम, प्रपकों का वाज का काम मक्षिण में पसाया जाय। इस स्प नाम प्रध का विस्तार । भर्णात् प्रतिमा की मनु | समिति ने एक अमूस्प रिपोर्ट उपस्थिरा की, सिसके Fमा तिना का संप्या १-प्रति साफ ३५ | विशिष शो को हम मीधे स्यूरा करते हैं। अचरा माना जाता), लिपि, निर्माण काम सिपि-काट प्रयकी अपम्या (मर्याव मीमवीर, काशीनागरीधारियासमा की प्रमपसमिति प्राचीन, पूर्ण, अपूर्ण गावि), रक्षित रहन का स्पान सभाशाक मनुसार शनिबार ता. २२ मई १८२० रहा है और प्रेषक प्रारिमौर अत और कही को हम लोग इसालिपिठ हिंदी पुस्तकों की खोज कहो मध्यामा भय उदा किपर जाता है। साथ | से साप रखनेवाली निम्नलिखित मार्यो पर पिचार जायेंगे।