पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/६०

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रूपाराम-पाहाँपुर निवासी पायम स० करण फपि-ठाकर मनियापसिंह के गुरु। दे. १७केलगमग यवं पान । {घ-1) माल ग्योतिष (5-1२) रुष्णफिशोर--सरय् मदो के घर पर गोपरखपुर कृपाराम-HOTE सगमग यसमाम । स्थामी, स. 12 गभग यमामा किन-तरंगियो द० (प-100) (-1) कयि योगाविद के शिक्षणावर! (-100) रूपाराय-मागरम वैन में पुस्तकनिर्माण कण-गीतापनी-गोलामी सुतावास व की स०१७ के लगभग वर्तमान अयपुरमरंग सिकका RIFLE यि० वरामस्थ माग महाराज सवाई जयसिंह के माचित । परमाण-कया।०(-२००) समय-बोप ० (-२५६) कृष्ण एणर्म म मदन-देष (देषद) ला पाराम-पीरजाम के पिता जाति के प्राक्ष पि० दशमस्कप मागपत की सूक्ष्म कथा । दे. सं०१०क पूर्व वर्तमान । ३० (-2) (र-१०५) रुपा सासरी-रामानुस समाप * सीण-बद्रिका-गुमान कवि , मि. का. स समाशी पत्र । मलिका०स० १८६७ ठूसरी और तीसरी प्रतियो कालिकामा १४२ हरवि० रहस्योपारप दे० (५-२९१) पहले पिंगल, परीक्षित की कथा, पांवो की 1 रुण-पोछा निकट मारेर ग्राम निवासी छया, चौर मत में दशमस्कम के पूर्वार्द का समाप ग्राह्मण महाकषि बिहारी के शिष्य भी पही बान पर है। सं०15 जग मानुपादे०(ब-१३) (-४) मग पर्वमान। कृष्ण द्रिका--माहमदास मिभ B.TEREलिका स०११ वि० माग पिर परागर २० (4-1) (4-६३ दी) पद के पशमस्कप की कथा । ३० (-183ए) अ परार पा र (घ---) (५-६३ ए) | कृष्ण-परिवारव-मकरस मिम इस लि. विहारीमई २० (ज-५२) फास विभीष्ण चद्रकीकपा । (र-१२) To (-3) कथा दि-उपसानिधि, राजा दुबराम के कृष्ण चारप-तुलसीराप्त (गोस्वामी) सक्षिक का.स. २. पिकण चरित्र । ई० (ज- . रसरविपद(क-२) 2916) एप्प कपि (म)- की शताब्दी के प्रारम कृष्ण चैतन्पदेष—इनके पिएप में कप भी मैं वर्तमान अयपुर मदेश जयसिंद हिलीप के मही। माभित। तौरपदमा २०(-१०२) महापुर. (2-101) रुपा चौवीसी-परमामद किशोर कलिकाः का