पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/६२

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मा। . (28] कृष्णमोदिका-घुराम रुण मि० का० स० ५६ पिलारमामा वर्णन इच प्रेप के रस जका0 8.1पिकरण मोपियों मिबारीस उप० दास नही है। (भ- की मेट और राधा सरपमामा की बावचीय १०६) केशव कारि-पइ प्रसिय माविशवास माइश कृपणास्प-प्रमसिंह कसा लि.कास. १९३४, पाले समिन है। इसके वियप में कमी झाप्त विरुष्णचरिणा० (-१०) विपरित दे० (ज-२४६५) कृष्णलीला-प्रभास कसा वि०हण की मात्रा चोरीलीना (4) सुमार-म-ौडा दे० (-१४६ बी) ग्रामगिरि-इन विषय में एक भी बात नहीं। कृष्ण लीलारती-पमायायी) सोमनाया भारंवारी दे०४-18) निघाम१०बि० मीटप्पु काड गोपियों के सापहार 12०14-2ी) केशवदास-जाति के बारण येमारवाड नरेश महायज्ञमसिंहक भाभिय, स. १६१ रुप्णविनोद-पप विनादीमान लि0 का जगमग दर्तमान। सविल मागमत शमस्कप का मापा- पाराम गाजिमीका गुपदे. नुवाद । २०(ग-1) कृष्णपिशाप्त-काल किस पर और शिवाठोरे(-०५) कप्पन संपाद । (110) करावदास-इरसेवक मिम मा, परमेमरदास कविलास-माप्ण चौबे उप० मामदास २ पुस १८० जगमा वर्तमान थे। छमिकालिकास २०(१-५) १४२६ विरुणभारिता (T-16) पारगत-मोवा(बुनकर) निवासी सनाढ्य ho (40) माक्षण कार्शनाप के पुत्र सं० ११३७ के सग रुणसिा (कविराज) म्होंने कर्मल यार की मग पर्तमाम प्रोड्या-नरंण महाराज मधुकर पृथ्वीराज राणा पढ़ापा। ३० [6-१२) शाह और उनके पुत्र महाराज जीतसिंह कृष्णानंद म्यासदेव--म के मगमा के माभित, बलमद्र कपिही भाग। वर्तमान इन्होंने अपना प्रथ में प्रजजीवनदास होकी। रशिमिया दे० (पर) समारोहमा रानपरतुमा ३० ज-11) कृष्णायन-अबाध रिचार्य का निबा.स. हरिप्रिया (क-२) (-४) २०सि०प०स०१मविरुधकरिता (-१२) २०(ब (+-)54) थियौता दे० (-२) (-१२) संपारपंप काश-पास ऋषि निकासा रामविका दे० (-५२) (प-२१)