पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/७१

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] जाति के भाट, निमन के पुत्र जदुनाथ के मक्त मालुम होने है। संभव है कि नमर पुत्र. इनके केशवराय तथा चालकृष्ण दो और (घ-४०) और ( ज-६= ) भी यही हो । भ्राता थे, कवि ने गोकुल के सरदार दीक्षित सुदामा चरित्र दे० (छ-२५३) बलभद्र का जो बल्लभ सम्प्रदाय के थे, वर्णन | गोपाल-प्रवीन गय के पुत्र, वृन्दावन निवासी । किया है, महाराज पृथ्वीसिंह प्रोडछावाले मान पचौमो दे० (ज-६७५) के आश्रित थे। टेदावन धामानुरागावली दे० (ज-६७ बी) : रास अलकार दे० (छ-३६८) गोपाल-स०१८७१ के लगभग वर्तमान, महा- पिंगल प्रकरण दे० (छ-३६ वी) राज भगवतराय खीची के आश्रित, संभव है (गोकुल (मथुरा) में प्रथम नदनाथ दीक्षित नम्बर (घ-४०) और (ध-२५३) भी यही हो । दक्षिण से आए, उनके पुत्र रामकृष्ण हुए भगवत राय को विरुदायनी दे० (ज-8) जो गोकुल के एक रईस थे। उनके बलभद्र हुए गोपालदत्त—इनके विषय में कुछ भी शात नहीं । जिनके वल्लभ संप्रदाय के गुरु ने चरण छुए।) गोपाल-दादू पंथी साधु और दादू दयाल 2गार पचीसी दे० (छ-२५४) जी के शिष्य; सं० १६५७ के लगभग वर्तमान, गोपाल पचीसी-हरिदास ऋन; लि० का० सं० उप० जनगोपाल। १६२२, वि० कृष्ण-स्तुति । दे० (छ-४६ वी) ध्रुव चरित्र दे० (क-२५) गोपाल मनि-गुमान कवि के पिता। पहाद चरित्र दे० (क-२३) (च-२३) राजा मरथ चरित्र दे०(क-२८) गोपाललाल—गिरिधर के पिता, बनारस दादू की जीवनी निवासी, गोपाल मंदिर के संरक्षक सं० १८८५ गोपाल-उप० गोप कवि । दे० (८-३६) के पूर्व वर्तमान थे । दे० (क-६) गोपाल-चंदीजन, सं० १८६१ के लगभग वर्तमानः गोपालसिंह (कुंवर)-महाराज तिलोकसिंह के चरखारी नरेश राजा रतन पुत्र, सं० १७५८ के लगभग वर्तमान, बुंदेलखंड सिंह के आश्रित; संभव है नम्बर (घ-२५३) निवासी। दे० (ज-३२१) और (ज-80) भी यही हो । राग रलावली दे० (छ-४२) शिव नस दर्पण टे० (छ-४०) गोपीनाथ-गोकुलनाथ बंदीजन बनारसवाले के बलमद व्याकरण दे० (छ-४०) पुत्र; स० १८७० के लगभग वर्तमान; काशी गोपाल-यह अधिकतर अजयगढ़ में रहते थे नरेश महाराज उदितनारायण सिंह के आश्रित, और पहले वहाँ विद्यार्थी की दशा में गए थे। गोकुलनाथ, गोपीनाथ और मणिदेव ने मिल- गज विलास दे०(छ-४१) कर महाभारत का पद्यमय अनुवाद किया। गोपाल-सं० १८५३ के लगभग वर्तमान, यह महाभारत पण दे० (-६५) . श्यामदास के पुत्र