पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/७७

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[ ४४ ] जित किया; ये कवि चेतराम के प्राधय- चित्रगुप्त-प्रकाश---सयसुख कृत, नि० का० सं० दाता थे। दे० (-३) १८७३, लि० का० सं० १६११, वि० कापलों चार दरवेश कथा—नारायण कृत, नि० का० की उत्पत्ति का वर्णन । दे० (छ-१०६) सं०१८४१, लि० का० सं० १८५४; वि० उर्दू चित्रगुप्त प्रकाश-प्रताप कृत; नि० का० सं० चहार दर्वेश अर्थात् चार फकीरों के किस्से १८७५ लि. का० सं० १९१8, वि० कायमों का हिन्दी पधमय अनुवाद । दे० (6--१६) की उत्पत्ति का वर्णन । दे० (छ-६२५) चिंतामणि—प्रसिद्ध कवि मतिराम और भूपण | चित्र-चंद्रिका-काशीराज कृत; वि० काव्य करने के बड़े भाई थे; जन्म का० सं० १६८०, यह की रीति का वर्णन । दे० (ज-१४५) नागपुर नरेश महाराज भीमत मकरंद शाह चित्र-मीमांसा-जगतसिंह कृत, लि० का० सं० के आश्रित थे, तिकमापुर (कानपुर) निवासी, १६२७, वि० अलंकार । दे० (ज-१२७) जाति के कान्यकुब्ज त्रिपाठी ब्राह्मण । चित्रमुकुट राजा की कथा-(र० प्रश्नान ) वि० फविश्न क्रपतरु दे० (क-१२७)(ड-२१८) उज्जैन के राजा चित्रमुकुट का वृतांत । दे० (घ-१३७) पिंगल भाषा दे० (घ-३६ ) (ज-५०) चित्रांगद-जाति के क्षत्री; बुदेलखंड निवासी; (छ-१५१ )(क-४०) (ङ-१९९) कवि यशवंतसिंह के पिता थे। दे० (९-१२०) चिंतामणि---यह अकयर महान् या द्वितीय श्रक- चित्रावली-उसमान कवि (मान) कृत; नि० का० घर के आश्रित थे, इनके विपय में और कुछ सं०१६७०, लि० का० सं०१:०२, वि० नेपाल भीमात नहीं। के राजा धरनीधर के पुत्र सुजान और रूप- रसमजरी दे० (छ-१५०) नगर के राजा चित्रसेन की कन्या चित्रावती के चिंतामणिदास-इनके विषय में कुछ भी क्षात प्रेम की कहानी । दे० (ड-३२) चिद-विलास—(र० अज्ञात) लि० का० सं० अमरीम चरित्र दे० (ज-५१) १७७२, वि० वेदांत मतानुसार सृष्टि की चिकित्सासार-धीरजराम कृत; नि० का० सं० उत्पत्ति, प्रलय आदि का वर्णन । दे० (क-७३) २०१०, लि० का०सं० १६०२, वि० वैद्यका चिरंजीलाल-विनोदीलात के पिता; हिंडौन (ज-७२) (जयपुर) के कानूनगो थे, पीछे रघुनाथ पेशवा के मंत्री हो गए, सं० १८७४ के लग- चित्रकूट माहात्म्य-कृपाराम कृत, लि० का० सं० भग वर्तमान, जब उद्यपुर और वृटिश गवर्न- १८६२: वि० चित्रकूट की महिमा का वर्णन | मेंट में संधि हो गई, तब यह महाराणा भीम- दे० (छ-२३) सिंह के दर में फिर नौकर हो गए, चित्रकूट शतक-रामनाथ कन; नि० का० सं० सं० १८५१ में इनके पुत्र विनोदीलाल का जन्म १८७४; वि०चित्रकूट माहात्म्य। दे०(ज-२५३) दुओ । दे० (ग-९०२) नहीं।