पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/८

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"पह मायापक नहीं कि मिस कम से ये समावना हो, वहाँ वहाँ मोजाकाम खितना हीम विमाम किए गए है, उसी कम स यह काम भारम | समय तके, भारम कर दिया जाय। समा को किया जाय। काम मी पह काम प्रारम हो | इस काम के निपे १०००J०की वार्षिक सहायता सकता है। क्या मायापकना इस बात की कि सयुक्त प्रदेश की मैंट से मिखठी है। पा सहा- कहाँ कहीं से यह काम माग्म हो, वहाँ क गौष यता सयुक्त प्रदेश के काम के लिये ही पूरी नहीं गौष तक की पूरी पूरी कर ली जाप, तरसे भम्प प्रमों में काम करना असंभव दूसरे दिमाग में काम मारम किया जाय । पेक्षा ६ मा संयुक्त प्रदेश में बोस का काम समात म हो कि एक दिमाग का काम पूरा छोड़कर हो साप । सपुत्र प्रदेश में हम लोगो के भनुमान दूसरे विभाग में कार्य भारभ कर दिया माय । [से २० २५ का समय समेगा । ने दिनों में सयुक्त प्रदेश में ही हामपुर (मारावकी), अमनी | पम्प प्रांतों में तथा सयुक्त RU में मी अनेक ग्रंप (उपहारेशी), पापन-गाकुल (मपुरा) से सामना हो जाएँगे। सक्षिपेइम क्षोगों के विचार में ₹स हिंदी साहित्य रे मनगिनत प्रपों का यह मापश्यक जाम पड़ता है कि सयुक्त प्रवेश में पता लग सकता है । पसे सामों में ही सावधानी, काम के दो प्रधाम दिमाग कर दिए जायें भाव बुद्धिमानी ज्या नीविका में काम करना | दो महाशयों के निरीक्षण में काम बाँट दिया माप- होगा । बहाबों खासाकाम हो चुका है, वहाँ एक के अपीम तो रूपर दिए हुए दिमाग के (क) वहाँ पुमा होना चाहिए। भोर भागे #साम लोग(ग) (क) और (३) प्रश हो त दूसरे के अमीन मोटिसों के प्रस्तुत करने के विषय में अपनी सम्मति रोष ) ()(क)चौर (ब) मशीस प्रकार विगे, उसके अनुसार सच पुस्तकों की मदोनी कार्य कमी हो सकता है जब सयुष प्रदेश की वाहिए। अब तक को मोरिसे रईय प्रधी ६, सरकार की वार्षिक सहायता 1000) सम पूरे विस्तार के साथ लिखना चाहिए । २००० मिलने लगे।सके लिये पवर्मेर से मार्थना ॥२-पम्प माता मीशासका काम होगा | करती भारिप बहा मावश्यक है। हिंदी की पुस्तके माया कागज 'पम्प प्रयो में वहाँगोड का काम होगा पर ही लिखी होती है जिसके पहुन विनो कपाहिए. वे माघ मारत मध्य प्रदेश, राजपतामा, बने रहने की संभावना नहीं है। काग शकिार तथा सास पारके पाप के हिने गल या सड़ाता है और इसस ममक प्रेय गए पापा की पहादी रियासते। हम सब प्रदेशों हामाये हैं। पेसा मी देखने वया एमले में पाया | में प्रकाविचितच मिलेंगे, पान इमलोगो किलिम महानुमादों में पुस्तकों का समा किपाको पद अनुमान है कि प्रपिट महस्य के प्रयों पा, सम उतराधिकारियों की उपेक्षा के कारण के मम्मोतो मे मिलने की ही अधिक माना। बहुत से प्रथम गए है तथा लिरवर होठे| हम लोगों की सम्मति में यह उचित बाम पड़ता जाते हैं। रेसो भवला में पर बहुत भावश्यक है कि हम सब प्रदेशों की पचमेरों का पान इस जिमिन गिन मौतों में हिंदी पुस्तकों के मिलने की भावरपड तथा उपयोगी काम की मोर विवाया के साम पर