पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/८१

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[ 85 ) वि० जगन्नाथ जी की स्तुति । दे० (-२) जदुराज-विलास-~-महाराज रघुराजसिंह कृत, जगन्नाथ-बिसेन ठाकुर, धिंगवास (प्रतापगढ़) नि० का० सं०-१६३३, लि० का० सं० १९४२ निवासी, सं० १८८७ के लगभग वर्तमान । वि० श्रीकृष्ण जी की स्तुति और चरित्र वर्णन। जुदोत्सब दे० (ज-१२३) दे० (क-४४) जगन्नाथ ( मिश्र )--सं० १५६० के स्लमभग वर्त- जन अनाथ---उप० अनाथदास; सं० १७१६ में मान जौनपुर निवासी, मुग़ल सम्राट अकबर उत्पन्न मौनी वाया के शिष्य, साधु । के आश्रित थे और कुछ जमीन भी उनसे मिली विचारमाता दे० (२-२६५) थी; ये अकयर के नवरतवाले जगन्नाथ नहीं हैं। जन अनाथ भाट--यह जनश्रनाथ उप०अनाथ- राना इरिषद को क्या दे० (ज-१२४) दास नहीं है, २० १७२६ में वर्तमान; राजा जगन्नाथ (रिचार्य)-जुगलदास के पुश्र; छतर- मकरंद बुंदेला के आश्रित । पुर. (बुंदेलखड ) में रहते थे; स०१८४५ के सर्वसार उपदेश दे० (ज-१३१) लगभग वर्तमान । मोहमदन राना की कथा दे० (ज-२१४) कृष्णायन दे० (ज-१२५) जनकनंदिनीदास-ये रामानुज संप्रदाय के अगमायदास-सं० १७८८ के लगभग वर्तमान वैष्णव साधु थे, उनके विषय में और भी ये किसी तुलसीदास साधु के शिष्य थे। ज्ञात नहीं। मन पत्तीसी और गुरु महिमा दे०(छ-२६६) भेद भास्कर दे० (छ-२६६) गुरुचरित्र दे० (ज-१२६) जनक-पचीसी-मंडन कृत, लि० का० सं० जगमायप्रसाद-छतरपुर (बुंदेलखंड) निवासी, १८६२, दूसरी प्रति का सं० १८६४; वि० राम- --रसनिधि के दोहों के सग्रहकर्ता। दे० (च-७५) चंद्र जी की शोभा और मुकुट का वर्णन । दे. जगन्नाथ-माहात्म्य-मकरंद कृत, वि० ईश्वर- (छ-७२) चंदना । दे० (ज-२) जनकराजकिशोरीशरण-उप० किशोरीशरण जटपल-सं० १६८० के लगभग वर्तमान मेवाड़ या रसिक तथा रसिकविहारी, ये सुदामापुरी निवासी। (गुजरात) से आए थे, अयोध्या के महंत गोरा बादल को कथा दे० (ख-४८) राघवदास के शिष्य थे और अंत में गद्दी के जटाशंकर--उप० नीलकंठ, कवि मतिराम के स्वामी हुए; मं० १८७५ के लगभग वर्तमान;. तीसरे भाई यो तिकमापुर (कानपुर) निवासी, वैष्णव महंत। भिपाठी कान्यकुञ्ज ब्राह्मण थे। दे० (क-४०) सीताराम सिद्धात मुक्तावली दे० जतनलाल (गोखामो)-स० १८६१ के पूर्व वर्त. (ज-१३४ ५) (छ-९८१ डी) मान; स्वामी हितहरिवंश के अनुयायी थे। मनन्य तरगिनी दे० (ज-१३४ धी) रसिक अनन्यसार दे० (ज-१३७) कवितावली दे० (ज-१३४सी) (छ-१८६ सी) . .