पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/८५

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[ ५२ ] जलंधरनाय जी राचरित्र--महाराज मानसिंह आश्रयदाता; दे० (क-४) यह महाराज कृत; वि० जलंधरनाथ गुरु का चरित्र वर्णन । स्वयं भी कवि थे। दे० (ग-२४) रगार शिरोमणि दे० (ज-१३६) जलंघरनाथ जी रो गुण-दौलतराम ,कृत, लि० जसवंतसिंह-महाराज गजसिंह के पुत्र भौर का० सं० १८७२, वि० जलंधरनाथ की महिमा सूरसिंह के पौत्र; सं० १६६२-१७३५ तक और महाराज मानसिंह की प्रशंसा । जोधपुर की गद्दी पर रहे; बादशाह शाहजहाँ दे० (ग-३०) के कृपापात्र थे; थलख और कंधार की लड़ाइयों जस-आभूपन चंद्रिका-मनोहरदास कृत नि० में शाही सेना के साथ कई बार अटक पार का० सं० १८७६; वि० पिंगल, अलकार और गए थे; दक्षिण, मालवा और गुजरात के सूबे- महाराजमानसिंह का यशवर्णन । दे० (ग-१३) दार भी थे, औरंगजेब के भाई शुजा के साथ जस-भूपरण-बागीराम गाइराम कृत, वि० सिद्ध- इन्होंने औरंगजेय के प्रतिकूल युद्ध किया था श्वर श्रीजालंधर नाथ की महिमा वर्णन। दे० और उसका खजाना तथा जनाना लूटकर (ग-३२) जोधपुर चले गए थे; औरंगजेब ने इन्हें फिर जस रूपक-यागीराम गाइराम कृत; लि. का० गुजरात का सयेदार बनाया था और शिवाजी सं० १८८३, वि० जोधपुर के महाराज मानसिंह को दमन करने को भेजा था; किन्तु इन्होंने उन्हें का वर्णन । दे० (ग-३३) विशेष दुःस नहीं दिया; अतः बादशाह ने जसवंतसिंह-इनके विषय में कुछ भी हात नहीं। अप्रसन्न हो इन्हें कावुल भेज दिया जहाँ वर्ष रामावतार दे०(छ-२७४ ए) रहकर पठानों को दबाया और वहीं जमुराद दशावतार दे० (छ-२७४ यी) नदी के तट पर सं० १७३५ में शरीर त्याग जसवंतसिंह-इंदौर के हुलकर; सं० १८५३ के किया; सूरत मिश्र से इन्होंने कविता करना लगभग वर्तमान, रीवा नरेश अजीतसिंह से सीखा था; नरहरिदास और नवीन कधि के चरहटा (रीवा) के मैदान में इनसे युद्ध हुआ आश्रयदाता और स्वयं यड़े कवि थे; अजीत. जिसमें इनका पराजय हुना। दे० (क-४१) सिंह के पिता थे। दे (ग-४०) जसवंतसिंह-महाराज हम्मीरसिंह के पुत्र; ओ अपरोक्ष सिद्धांत दे० (स्न-७२ ) (ग-१४) डछा नरेश; राज्य का० सं० १६७५-१६८४ तक, अनुमय प्रकाश दे० (ख-७२) (ग-१५) रघुराम, चैकुंठमणि शुक्ल के आश्रयदाता। दे० मानद विलास दे० (स-७३ ) (ग-१७) (64)(EEE) भाषाभूषण दे० (ग-४७) (छ-१७६) जसवंतसिंह-महाराज हमीरसिंह के पुत्र; तिरवॉ (छ-२५१) (फरुखाबाद ) के राजा; सं० १८५४ के लगभग सिद्धात मोष दे० (ग-१६) वर्तमान, वघेलवंशी; स्यात् ग्वाल कवि के प्रबोध चद्रोदय नाटक दे० (ग-२२)