पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/८९

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[ ५६ ] लि. का० सं०१८४०, वि० वेदांत । दे० (छ कृत, लि० का० सं०१८२१ वि० वेदांत । दे० २६३६) (1-2) ज्ञान-चौंतीसी-शंकर कवि कन; लि० का० सं० ज्ञान-बोध-प्रक्षर अनन्य कृत; लि० का १० १६४८, वि० आत्मिक सत्यता । दे० (छ १६३१, वि० धार्मिक शिक्षा । दे० (-२ डी) ३२८ वी) ज्ञान मंजरी–मनोहराम (निरंजनी) कृन, नि० ज्ञान चौतीसी-कबीरदास कृत; वि० मान । दे. का०२० १७१६ लि० का० सं० १८४० वि० (ज-१४३ क्यू) वेदांत । दे. (८-२६३५) ज्ञानदीप-शेख नयी कृन, नि० का० स० १६७६; जानमल-फतहमल के पुत्र जोधपुर नरेश महा. लि. का० सं० १६३२, वि० राजा शानदीप राज बरुनसिंह के दीवान थे, कवि जयकृष्ण और रानी देवजानी की कथा । दे० (ग-१२) के प्राश्रयदाता; मं०१२५ के लगभग वर्तमान। ज्ञानदीपक-दरिया साहा कृनः लि. का० सं० दे० (ग--8) १६०७, वि० मान । दे० (ज-५५ श्राई) ज्ञान-महोदधि-हरिभक्तसिंह कृत. नि० का० शानदीपिका--तुलसीदास कृत; (गोस्वामी सं० १६०५, लि० का० सं० वि० ग्रामदान तुलसीदास नहीं) नि० का० सं० १६३१; लि० का वर्णन । दे० (ज-१०६) का० सं० १९२०, वि० वेदांत मान । दे० (च-ज्ञान-रतन-दरिया माहब कन, नि० का० सं० २१) (-३३८ वी) १८३७. लि. का० सं० १८६६, वि० रामायण ज्ञानधीर-सनाढ्य ब्राह्मण ब्रह्मश्रीर के पुत्र, की कथा । दे० (ज-५५ एच) हरिदासपुर निवासी, स्वामी हरिदास के ज्ञान-वैगग्य संदापिनी-सनसिंह कृत, नि० पितामह । दे० (क-३७) का० सं०१ लि. का० स० १४३, विक ज्ञान पचासा-अन्य नाम अनन्यपवासिका अक्षर तुलसीदास के किकिंधाकांड रामायण पर अनन्य कृत; लि० का० सं०१६५८वि० श्रात्म टीका । दे० (ज-२८२ डी) शान । दे० (छ-२ई) ज्ञान संबोध-कथीरदास कृत; वि० संतमहिमा झान-प्रकाश-राघवदाल कृत; नि० का०सं० घर्णन । दे० (ज-१४३ प्रार) १७१०, लि० का० सं० १८४२: वि० रानी हर- ज्ञानसतसई-हरिदास कृन; नि० का० सं० १८२१, देवी को प्रान्म-मान की शिक्षा देना । दे० लि० का० स० १२० वि० भगवत गीता का (छ-६७) भाषानुवाद । दे० (उ-७२) झान-प्रदीप-गंगाराम त्रिपाठी कृत; नि० का० ज्ञानसमुद्र-मुंदरदास कृत; नि० का० सं० १७१०, सं०१८४६, लि० का० सं० १८५७, वि० भग. लि० का० सं० Fes; चि० वेदांत । दे० वत मान । दे० (घ-१६) (घ-३४) (छ-२४२ यी)(ग-२५ दो) (ग-१६५) झान वचन चूर्णिका-मनोहरदास निरंजना भानसागर-सुंदरदास कृत.लि० का० सं० १९३५,