पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/९

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जाय और उनसे प्रार्थना की जाय कि या तो वे उपयुक्त व्यक्ति को इस काम में अपने साथ लगा समा की आर्थिक सहायता करें जिसमें वह उन लेना चाहिए जिसे इस ओर मवि तथा श्रद्धा हो प्रांतों में भी इस काम को कर सके, अथवा ये इस और जो कुछ दिनों तक काम सीखने के अनंतर काम को स्वयं कराधे और जहाँ तक याचश्यक हो, स्वयं निरीक्षक होने के योग्य हो जाय। सभा उन्हें उस प्रांत के काम में सहायता दे। “निरीक्षक के कर्तव्य और अधिकार ये होने सारांश इतना ही है कि सब प्रांतों में एक साथ | चाहिएँ- काम प्रारंभ हो जाय जिससे अल्प से शल्प समय (१) कार्य की तत्वावधानता। में यह पूरा हो जाय। यह आवश्यक नहीं है कि (२) कार्य को नियत सिद्धांतों तथा प्रणाली के समा ही सब प्रांतों के काम को अपने हाथ में ले, अनुसार चलाना । यद्यपि हम लोगों की सम्मति में ऐसा होने में अनेक (३) एजेंट का नियत करना, उसे छुट्टी देना, लाम है । एक समिति की तत्वावधानता में अनेक निकालना, उसकी तनखाह बढ़ाना आदि; पर प्रांतों में काम होने से कार्य की परस्पर समानता, निकालने पर एजेंट सभा से पुनः विचार की सहयोगिता, सहायता प्रादि लामों के होने की प्रार्थना कर सकेगा तथा सभा के निश्चय को बहुत संभावना है जो अन्यथा नहीं प्राप्त हो सकते। प्रधानता दी जायगी। पर यदि कोई अथवा अन्य सब गवर्मेट चाहनो (४) बजेट में स्वीकृत धन के अनुसार व्यय क अपना अपना स्वतंत्र प्रबंध कर सकती हैं। इस खीकार करना। अवस्था में सभा तथा इस संबंध में उसकी स्थायी (५) एजेंट का भत्ता आदि नियत करना। समिति जिसके विषय में हम आगे लिखेंगे, उन उन "४-हम लोगों के विचार में निरीक्षक य प्रांतों के कार्य-निरीक्षकों की पूरी पूर्ण न हायता करें। निरीक्षकों की सहायता करने, उन को परामर्श देने "३-हम लोगों के विचार में खोज के इस काम श्रथवा उनके पूछने पर किसी विषय में अनुमति के लिये निरीक्षकों का बैतनिक होना आवश्यक है, देने के लिये एक स्थायी समिति के संघटन की परंतु उस काम के लिये कम से कम दाई नीन बहुन बड़ी आवश्यकता है। यदि अनेक प्रांतों में हजार रुपए वार्षिक की आवश्यकता होगी। श्रत- खोज का काम प्रारभ हो तो इस समिति को और एव श्रावश्यक होने पर भी यह विचार व्यवहार-भी अधिक आवश्यकता होगी। इस समिति की साध्य नहीं है। इस अवस्था में प्रति निरीक्षक का तत्वावधनता में खोज का समस्त काम होना कम से कम ६ वर्ष के लिये निर्दिष्ट होना श्रावश्यक | चाहिए। निरीक्षक खतत्र रूप से अपने अधिकारों है। इससे कम के लिये नियत करना अनुचित ही और कर्तव्यों का जिनके विषय में हम ऊपर लिख नहीं वरन् हानिकारक भी हो सकता है। पर यह चुके है, उपयोग करें। उनमें यह समिति किसी ध्यान रखना चाहिए कि कोई महाशय निरंतर प्रकार का हस्तक्षेप न करे। पर जहाँ सिद्धान्तों का इस अवतैनिक कार्य को न कर सकेंगे। अतपय बात हो, वहाँ यह समिति निश्चय करे तथा मित्र हम लोगों के विचार में निरीक्षकों को एक ऐसे | मिन्न निरीक्षकों में सहयोगिता और उनके कार्यों