पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/९१

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३ [ 4 ] प्रपितामह थे, मुरशिदाबाद नरेश, सं० १८२७ थी। पहले शेरखाँ (शेरशाह ) के पुत्र दौलन- के पूर्व धर्तमान, कवि रामचंद्र और पं० मथुरा नॉ के बाधित थे, फिर रीवाँ नरेश महाराज नाथ शुक्ल के श्राश्रयदाता। दे० (ज-२३६) रामसिह के यहाँ रहे. उन्होंने इन्हें सम्राट अक- (ज-१४५) यर के दरबार में भेजा और उनके आश्रित देकी-सुबंस कवि कृत लि० का० स० १८८६, वि० रहे, यह भारत के प्रसिद्ध सगीताचार्य थे। श्रीकृष्ण का विहार वर्णन : दे० (ग-१०७) सगीत सार दे० (ख-१२) दोला मारवणी चउपट्टी-हरराज कृत नि० राग माला दे० (ग-४१) का० सं०१६०७, लि० का० सं०१६६६, वि० तामरूप दीप पिंगल-अन्य नाम रूप दीप, पिगल (मारवाड़) के राजा ढोला मारू की जयकृष्ण कृत, नि० कर० सं०७७६, लि०का० कथा । दे०(क-४६) सं० १९१०, वि०पिंगल शास्त्र का वर्णन । दे० दोला मारू रादोहा—किलोल कवि कृत; वि० (क-२०) (ज-१३८) ढोला मारू की कहानी । दे० (ग-५६) तारक तत्व-उत्तमचन्द्र छत । दे० (ग-१८ दो) तखतसिंह—ये जोधपुर के महाराज थे; सं० | तारपाणि-इनके विषय में कुछ भी बात नहीं । १६०० में गद्दी पर बैठे; महाराज मानसिंह के भागोर धी नीना दे० (छ-३३६) अपुत्र मरने पर इनको अहमदनगर (गुज- | तारापति-चतुर्वेदी ब्राह्मण, अभयराम के पुत्र रात) से लाकर जोधपुर की गही पर बैठाया कवि कुलपति से ४ पीढ़ी पूर्व हुए। दे० गया था । दे० (ग-३६) (क-७२) तसबोध-सर्वसुख कृत, लि० का० सं० १६०३; ताहिर-इनके विषय में कुछ भी शात नहीं। विज्ञान,वैराग्य और भक्ति वर्णनादे०(ज-२८४) आगरा निवासी सं१६७५ के लगभग वर्तमान । तलमुक्तावली-सितकंठ कृत; नि० का० सं० गुणसागर दे० (-३३५) १७२७ लि. का० सं० १४२६, वि ज्योतिष । कोकसार दे० (ज-३१६) दे० (ज-२६१) ( ये दोनों पुस्तकें एकही प्रतीत होती हैं। ) तबसंज्ञा-चदन कवि कृत, लि० का० सं० १८६१९ तिथि-निर्णय-प्रियादास कृत, लि० का० सं० वि० योग संबंधी क्रियाओं का वर्णन । दे० १९२३, वि० राधावल्लभी संप्रदाय के अनुसार तिथियों का निर्णय । दे० (ज-२३१ डी) तानसेन-नाम त्रिलोचन पांडे, सं० १६१७ के तिरजा (टीका)-परिपूरणदास कृत, वि० शानो- लगभग वर्तमान, मकरंद पांडे के पुत्र, गधा- पदेश, कबीर के शब्द, हिंडोल और साली लियर निवासी, स्वामी हरिदास से पिंगल की टीका । दे० (ज-२२३) शास्त्र और संगीत विद्या का अध्ययन किया; | तिलोक-मेड़ता (मारवाड़) निवासी; सं० १७२६ शेख मौस मुहम्मद से भी गानविद्या सीबी के लगभग वर्तमान; ये सेवक जाति के कवि