पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/९३

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[ ६० ] तुलसी सतसई दे० (छ-२४५ सी) टान, लि० का० सं०१६३०; वि० गोस्वामी रामाज्ञा दे० (छ-२४५ डी) तुलसीदास जी की प्रशंसा । दे० (ज- विनय पत्रिका दे० (छ-२४५ जी) (ज १३४ एफ) ३२३ एल) तुलसी-भूपण-रसरूप कृत; नि० का० सं० कृप्पै रामायण दे० (छ-२४५. एच) १८११, लि० का० सं० १८८७, दूसरी प्रति लि. कायली दे० (ज-३२३ ५) का० सं० १८८६. वि० छंद और अलंकार; ज्ञान को प्रकरण दे० (ज-३२३ सी) उदाहरण में गोस्वामी कृत रामायण आदि के कृप्यचरित्र दे० (ज-३२३६) छद दिए हैं । दे० (ड-१२) मगत रामायण दे० (ज-३२३ एफ) तुलसी-शब्दार्थ प्रकाश-~अन्य नाम जयगोपाल- पदावली रामायण दे० (ज-३२३ जी) दास विलास, जयगोपालदास कृत, नि० का० स्पदेश दोहा दे० (ज-३२३ जे) सं० १८७४, लि० का० सं० १८०३, वि० देव बाइक दे० (ज-३२३ के) चंदना, ज्योतिष, रामायण के शब्द के मर्थ और सूरन पुराण दे० (ज-३२३ पम) गूढ भावों का वर्णन, इसमें तीन प्रकरण है। ध्रुव प्रश्नावली दे० (ज-३२३ एन) दे० (ट-६) (ग-१०३) तुलसीदास-इनके विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं। तुलसी-सतसई-तुलसीदास गोस्वामी कृत; लि० पर ये प्रसिद्ध तुलसीदास नहीं है; उनके सम- फा० सं० १६०१, वि० उपदेश के दोहे । दे० कालीन सं० १६३९ के लगभग वर्तमान । (छ-२४५ सी) राम मुक्तावनी दे० (घ-६७) तेजसिंह-याल कृष्ण के पुत्र, सं० १८२७ के लग. भान दीपिका दे० (छ-३३८ वी) भग वर्तमान, जाति के कायम्भ थे, फारसी के (च-२१) अन्य दफ्तरनामा से इन्होंने हिन्दी अनुवाद किया। तुलसीदास की चानी दे० (ज-३२३ प्राई) दफ्तरनामा ( दफ्तर रस) दे० (च-३४) हस्पति कार दे० (-३०) (छ-२१४) तुलसीदास-१०९७११ के लगभग वर्तमान,इनके तोवरदास-दूलनदास के शिष्य; सं० १७ के विषय में और कुछ भी ज्ञात नहीं। लगभगवर्तमान, सत्यनाम संप्रदायके अनुयायी। रसकहोल दे० (छ-३६२) शम्शवनी दे० (ज-३१%) रस भूपण दे० (८-३२६वी) तोषमणि-चतुर्भुज शुक्ल के पुत्र; भृगुमेरुपुर तुलसीदास की बानी--तुलसीदास कृत, लि० (इलाहाबाद) के नियासी; सं०१६६१ के लगन मग वर्तमान। का० सं० १८५६, वि० भान, विज्ञान, वैराग्य सुधानिपि दे० (ज-३१६) और उपदेशादि । दे० (ज-३२३ आई) त्रिलोकदास-उप० तिलोक, सं० १७२६ के लग- तलसीदास-चरित्र-जनकराजकिशोरी मग घर्तमान, मेडता (जोधपुर ) में किसी के शुरण