पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/१८३

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मिलने और बातें करने का पंडित जी को सदा गौरव प्राप्त हुआ या। अभी कलकत्ते में एक म्यूज़ियम कान्फरेंस गवर्नमेंट की तरफ से हुई थी उसमें पंडित जी निमंत्रित हो कर गए थे। आप प्रकृति के सरल और अभिमान-रहित हैं और बड़े सतो- गुण और सच्चरित्र हैं। जिन्हें एक बेर भी आपके दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ है ये आपके गुणों और स्वभाव पर मोहित हैं। आप से विद्वान हिंदी-समाज के गौरव तथा अभिमान के कारण है।