पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/२४

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- करने के काम पर नौकर हुए । तीन वर्ष के बाद इनका घेतन १५७) मासिकमा पारय सदरबोर्ड के दातर में नियत हुए। इसके दो पर्ष पीछे सन् १८९६० में इन्हें हटाये को तहसीलदारी मिली। उन दिनों इटाये में राम साहय कलेशर थे । घे इनके गुणों पर मोहित होकर इनमे अत्यंत प्रसन्न प्रस्तु, उनको सहायतामेराजा साहिय ने साये में हम ही स्कूल म्यापित किया जो कि अश्तक विधमान पार जिससे प्रति वर्ष प्रच्छ अच्छे योग्य विद्यार्थी पास होने हैं। इनको कार्य प्रणाली में अत्यंत प्रमान होकर घम साहय ने गवर्नमेंट को इनकी घड़ी तारीफ लिग जिसमें गवर्नमेंट ने इन्वे डिप्टी फलेभर धना दिया पार धोदे को बदली कर दो। यह मन् १८५६. ५७की पात है। गजा माहिय यादे मे छुटी लेकर अपने घर मागरे को जाये कि उसी समय सिपाहियों का घलया गया। जय प्रापटाये के पास पहुंचे मोगुना कि यहां पर भी पड़ा उपद्रप मामा। पर ये फोन हम मादिया के पास पहुँच कर उनके पादने के प्रसार पान गं अंगरेजी पालकों पर मेमों को सकुशल भागर के किले पहुंचा दिया । घर पर पहुँच कर इन्होंने राजपूतों का पक, गुड पोरा पार उन्हें ऐवर याम साक्ष्य की रपरा को साये जाने पालेकितपक एयरन पर पर भागए। इन्होंने उनको पानी ही रक्षा में पा पार जब दिलीपधार कर सरकारी गोजमेरा पर धापा जिगनी पन्होंने स्पषं उस पर पदिया पार पडा में सम्मिलित है। mगरिकगि परमार भाकामालाकामाही मा गापा पारदोंने मप्रतापूर्वक मारमा पापीवार पर सिरिरमने पानी धर्म मार लिया। पुरा पापना पहिले पाटी 3