पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/३६

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(६) बाबू नवीनचंद्र राय । न ईसवी को उन्नीसवीं शदाब्दी के प्रारंभ में अंगरेज सरकार ने कुछ बंगाली वायुनों को अपने काम से पंजाब को भेजा था । उनमें से रादीय श्रेणी के ब्राह्मण एक राममोहन राय थे जो कि बर्दवान जिले के रहने वाले थे। बावू नवीनचंद्र राय उक्त राममोहन राय के पुत्र थे । इनका जन्म ता० २० फ़रवरी सन् १८३८ ई० में हुमा था । जव कि इनको अवस्था केवल डेढ़ वर्ष की थी इनके पिता का स्वर्गवास हो गया। मौर इनके भरण पोषण का भार केवल इनको विधवा माता पर रहा । कुछ बड़े होने पर इन्होंने वंगला भाषा में रामायण पढ़ना सीख लिया। इनके घर के पास एक और वंगाला बाबू रहते थे। ये नित्य इनसे रामायण का पाठ सुनते और इन्हें रोज़ कुछ पैसे दे दिया करते थे, जिन्हें ये अपने विद्याध्ययन में खर्चते थे। गस मेरठ में कोई शिक्षा का उत्तम प्रबंध न था। जब इनकी अवस्था वर्ष की हो गई तो मेरट से तीन चार कोस पर सर्धना के मूल में ये पढ़ने के लिये जाने लगे। इनका विद्याध्ययन की पोर पसापा" रण अनुराग इसीसे प्रकट होता है कि उम किशोर अवस्था में ये नित्य तीन चार कोस जाते पार पाते थे। इनकी पार्थिक अयस्था यहुत ही शोचनीय थी इसलिये ही ने १३ परं को अयस्था में सर्धना में १६८० मासिक पर नौकरी करती, परंतु जय इन्होंने देखा कि यदि रंजीनियरिंग का पभ्याम कर लिया जाय दो कुरा बड़ी तनाह मिल सकती है तो इन्होंने .