पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/१२६

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हिंदी भाषा अपभ्रंश का ध्वनि-समूह अपभ्रंश काल में पाकर भी ध्वनि-समूह में कोई विशेष अंतर नहीं देख पड़ता। शौरसेन अपभ्रंश की ध्वनियाँ प्रायः निम्नलिखित थी- स्वर ____ अग्र अग्र सवृत ईपत्सवृत hea इंपत्विवृत निवृत श्रा व्यंजन काकल्य कट्य तालव्य | तालु वय AAI अतदत्य स्पर्श सप्राण स्पर्श स्पश घर्ष ha NN य घाफम अनुनासिक पाविक उत्क्षिप्त घर्ष अर्थात् साम अर्ध स्वर AA हिंदी ध्वनि-समूह ये अपभ्रंश-काल की ध्वनियाँ (१० स्वर और ३७ व्यंजन ) सभी पुरानी हिंदी में मिलती हैं। इनके अतिरिक्त ऐ (अए) और श्री (अयो) इन दो संध्यदरों का विकास भी पुरानी हिंदी में मिलता है। विदेशी भाषाओं से जो व्यंजन श्राप थे वे सव तद्भव बन गए थे। अंत में