पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/१४५

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हिंदी का शास्त्रीय विकास १४५ योगरूद होते हैं। मणि, नूपुर, गौ, हरिण श्रादि शब्द, जिनकी व्युत्पत्ति नहीं हो सकती रूढ़ कहलाते हैं। इन शब्दों में रूढ़ि की शक्ति व्यापार फरती है, और जिन शब्दों की शास्त्रीय प्रक्रिया "कसान मद द्वारा व्युत्पत्ति की जा सकती है ये यौगिक कह- लाते हैं। जैसे याचक, सेवक श्रादि शब्द यौगिक हैं, क्योंकि उनकी व्युत्पत्ति हो सकती है। कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनकी व्युत्पत्ति तो की जाती है पर व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ शब्द के मुख्य अर्थ से मेल नहीं खाता । ऐसे शब्द योगरूढ़ कहे जाते हैं। पंकज का व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ है पंक से उत्पन्न होनेवाला, पर अब वह शब्द एक विशेष अर्थ में रूढ़ हो गया है। भाषा-विज्ञान की दृष्टि से विचार करें तो केवल धातुएँ ही रूढ़ कही जा सकती हैं। चंद्रालोक के कर्ता जयदेव ने भी धातुओं को ही रूदि योग नियोग माना है । धातु के अतिरिक्त अन्य शब्दों को योगरूदि पर भाषा-रूढ़ मानना अज्ञान की स्वीकृति मान है। सभी वैज्ञानिक विचार - शब्दों की उत्पत्ति धातु और प्रत्यय के योग से होती है। जिन शब्दों की उत्पत्ति अज्ञात रहती है उन्हें व्यवहारानुरोध से रूढ़ मान लिया जाता है। वास्तव में वे 'अव्यक्त योग' मात्र हैं, उनके योगार्थ का हमें ज्ञान नहीं है। अतः धातु में हम शब्द की निर्योग और रूढ़ अवस्था का दर्शन करते हैं। दूसरी अवस्था में धातु से प्रत्यय का योग होता है और यौगिक शब्द सामने आता है। ___ संस्कृत व्याकरण फी वृत्तियाँ इस अवस्था का सुंदर निदर्शन कराती है। पहले धातु से कृत् प्रत्यय लगता है, जैसे पच धातु से पाचक धनता है। फिर धातुज शब्द से तद्धित प्रत्यय लगता है तो पाचकता श्रादि शब्द बन जाते हैं। इन दोनों प्रकार के यौगिक शब्दों से समास धनते हैं। एक यौगिक शब्द दूसरे योगिक शब्द, से मिलकर एक समस्त ( यौगिक) शब्द को जन्म देता है। कभी कभी दो शब्द इतने अधिक मिल जाते हैं कि उनमें से एक अपना अस्तित्व ही खो बैठता है। शब्द की इस वृत्ति को एकशेप कहते हैं। जैसे माता और पिता का योग होकर एक यौगिक शब्द बनता है 'पितरो'। इन चार वृत्तियों से नाम शब्द ही बनते हैं पर कभी कभी नाम के योग से धातुएँ भी बनती है, जैसे पाचक से पाचकायते बनता है। ऐसी योगज धातुएँ नामधातु कहलाती हैं और उनकी वृत्ति 'धातुवृत्ति'कहलाती है। विचारपूर्वक देखा जाय तो भापा के सभी यौगिक शब्द इन पाँच वृत्तियों के अंतर्गत पा जाते हैं। कृदंत, तद्धितांत, समास, एकशेष, और नामधातुओं को निकाल लेने पर भाषा में केवल दो ही प्रकार के SHHHHHHHHHHH