पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/१६७

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१६८ हिंदी साहित्य निधि कवि देव, विहारी तथा पद्माकर श्रादि ही कहलाएँगे। इनकी परंपरा बहुत दिनों तक चलती रही। अंत में भारतेंदु हरिश्चंद्र के साहित्याकाश में उदित होते ही हिंदी में एक नवीन प्रकाश फैला । यद्यपि इसकी सर्व-प्रधान विशेपता गद्य-साहित्य का विकास मानी जा सकती है पर यह नवीन प्रकाश सर्वतोमुखी था। इस युग के साहित्य में पश्चिमीय प्रणालियों तथा शादी की बहुत कुछ छाप पड़ी है और हिंदी एक नवीन रूप में ढल गई सी जान पड़ती है। हिंदी ही क्यों, अन्य भारतीय भाषाएँ भी बहुत कुछ पाश्चात्य भावों के योगसे प्रगतिशील हो रही हैं। इसे हम नवीन विकास का युग मान सकते हैं। श्रतएव हम हिंदी साहित्य का कालविभाग संक्षेप में इस प्रकार कर सकते हैं- श्रादि युग (वीरगाथा का युग-संवत् १०५० से १४०० तक) पूर्व मध्य युग ( भक्ति का युग-संवत् १४०० से १७०० तक) उत्तर मध्य युग (रीति-ग्रंथों का युग-संवत् १७०० से १६०० तक) आधुनिक युग (नवीन विकास का युग-संवत् १६०० से अब तक)। परंतु उपर्युक्त कालविभाग तथा प्रत्येक काल की विशेषताओं के प्रदर्शन से हमारा यह श्राशय नहीं है कि एक काल के समाप्त होते ही . काव्य-धारा दूसरे दिन से ही दूसरी दिशा में रहने लापमान का बुटिया लगी और न यही अभिप्राय है कि उन विभिन्न फालों में अन्य प्रकार की रचनाएँ हुई ही नहीं। ऐसा समझना तो मानों साहित्य को गणितशास्त्र की श्रेणी में मान लेना होगा और साथ ही कवियों के उस व्यक्तित्व का अपमान करना होगा जो देश तथा काल के परे है। साहित्य पर काल का प्रभाव पड़ता अवश्य है, परंतु विभिन्न कालो का परिवर्तन यहुधा आकस्मिक हुश्रा करता है। राजनीतिक तथा सामाजिक स्थितियां धीरे धीरे बदलती हैं, एक ही दिन में ये परि- पर्तित नहीं हो जातीं। इसी प्रकार काव्यधारा भी धीरे धीरे अपना पुराना स्वरूप बदलती तथा नवीनरूप धारण करती है, वह कभी एक दम से नया मार्ग नहीं ग्रहण करती। दूसरी बात यह है कि साहित्य कोई यांत्रिक क्रिया नहीं है कि सामाजिक आदि स्थितियों के यदलते ही तुरंत यदल जाय। कभी कभी तो साहित्य ही आगे बढकर समाज का नियंत्रण करता है और उसे नए मार्ग पर लाता हैं, साथ ही यह भी सत्य है कि किसी किसी काल में सामाजिक अथवा राजनीतिक आदि स्थितियों के सुधर जाने पर भी साहित्य पिछड़ा ही रहता है और बड़ी कठिनता से समाज के साहचर्य में प्राता है, उसके अनुकूल होता है। कहने का तात्पर्य यही है कि यद्यपि साहित्य का समाज को विभिन्न स्थितियों से