पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/१७३

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१७४ हिंदी साहित्य भारत के प्रसिद्ध राजपूत राज्यों पर चढ़ाई करने का श्रायोजन किया। हिंदू शक्ति दिल्ली के प्रसिद्ध चौहान अधिपति पृथ्वीराज की अध्यक्षता में एक बार जागी और गोरी को अनेक बार हारकर भागना और कैद होना पड़ा, पर बंधुभाव-समन्धित यवन सेना के सामने हिंदू बहुत समय तक नहीं ठहर सके। पारस्परिक झगड़ों में ही उनका यहुत कुछ ह्रास हो गया था। फलतः मुहम्मद गोरी ने संवत् १२४६ में प्रसिद्ध तराई की लड़ाई में हिंदुओं को पराजित कर दिया। यवन घुड़सवारों का बह पराक्रम हिंदुओं को हताश करने में सहायक हुआ। इसके उपरांत क्रमशः कन्नौज आदि के विस्तृत हिंदू राज्य भी मुसलमानों से पादाक्रांत हुए और थोड़े समय में ही पंजाब से लेकर बंगाल तक यवन झंडा फहराने लगा। कन्नौज के तत्कालीन नरेश जयचंद ने मुहम्मद गोरी से मिलकर पृथ्वी राज को हराने का पड़यंत्र रचा था, अतः इतिहास में उसका नाम राष्ट्र के साथ विश्वासघात करनेवालों की श्रेणी में लिखा गया है। पर वास्तव में सारी जाति को ही भारत का स्वातंत्र्य खोने का अपराधी मानना उचित होगा। जयचंद की प्रवृत्ति उस समय के समस्त खंडाधिपतियों की प्रवृत्ति हो रही थी, नहीं तो एक जयचंद के विश्वासघात से समस्त देश का पराजित होना कभी संभव नहीं था। । यद्यपि देश ने अपनी स्वतंत्रता खोकर उन समस्त संकटों का सामना किया जो एक परतंत्र देश को करने पड़ते हैं, पर मुसलमानों के शासन से कुछ लाभ भी हुए। यह ठीक है कि हिंदू आत्मसम्मान खो बैठे, उनके गौरव का वास हो गया और विजातीय तथा विधर्मी शासन के प्रतिष्ठित होने के कारण यहाँ की धार्मिक तथा सामाजिक व्यवस्था को बड़ा धक्का लगा, परंतु जो जाति क्षुद्र स्वार्थों के वशीभूत होकर अपनी राष्ट्रीयता का अनुभव नहीं कर सकती, उसे ऐसा ही फल मिलता है। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं। मुसलमानों के राज्य स्थापन के उपरांत उनकी भाषा और उनके धर्म का प्रचार भी हुना, और कुछ निरंकुश शासकों ने तलवार के यल से धर्म का प्रचार किया और यहाँ की समाजनीति को उलट-पुलट डालने में पाशविक यल की सहायता ली। समाजनीति के सुव्यवस्थित संचालन के लिये जिस अनुकूल राजशक्ति तथा अन्य वातावरण की आवश्यकता होती है वह हिंदुओं को बहुत कम प्राप्त हुई, फलतः उनके सामाजिक बंधन बहुत कुछ शिथिल और अनियमित हो गए। परंतु साथ ही हमको यह भी स्वीकार करना पड़ेगा कि यवन शासन के स्थापित हो जाने पर एक सीमा तक उस सुख और समृद्धि का काल पाया जो विशाल साम्राज्यों