पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/१७७

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१७८ हिंदी साहित्य .. विश्वास घुस गए। अशान का साम्राज्य था। हिंदू तो पराधीन होकर पहले ही गौरवहीन हो गए थे, अव विलास में फँसकर उन्हें पूरी पूरी आत्मविस्मृति हो गई। शास्त्रज्ञ पंडित तो मुसलमानों के संसर्ग में बहुत फम पाए और उन्हें 'म्लेच्छ' कहकर घरायर अपनी उच्चता की ही घोषणा करते रहे, पर साधारण जनता विलासमग्न रहती हुई भी बहुत दिनों तक श्रात्मप्रवंचना न कर सकी। हिंदुओं को विजेता यवन नीची निगाह से देखते और उनका तिरस्कार करते थे। उन्हें धार्मिक स्वतं. प्रता मिली थी, पर जज़िया जैसे कर देने पर। उच्च सरकारी पदों पर चे बहुत कम लिए जाते थे। धार्मिक विषयों का निर्णय मुसलमान काजी करते थे, जिससे हिंदुओं के साथ न्याय होने की बहुत कम श्राशा रहती थी। हिंदुओं का जान माल सव अनिश्चित था, उनके साथ यवन शासकों की बहुत कम सहानुभूति थी। ऐसी परिस्थिति में हिंद कय तक श्रारमवंचना करते और विलास की नींद में सोते रहते ? परंतु वे कर ही क्या सकते थे। जीवन में उन्हें सहारा ही किसका था? घे शकिहीन और संघदित थे। इस समय कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जो उनका उन्नयन करने में समर्थ होता। यदि उन्हें कुछ श्राशा रद्द गई थी तो वह केवल लोकपालक, असुरविनाशक, भक्तभयहारी ईश्वर की अमोघ शक्ति की थी। फलतः एक महान् धार्मिक अांदोलन उठ खड़ा हुश्रा जिसका प्रभाव देश के कोने कोने में पड़ा। इस आंदोलन को इतिहास में वैष्णय श्रांदो- मध्यकालीन धार्मिक लन कहा गया है। भगवान् के लोक-पालक रूप - फी विष्णु के रूप में प्रतिष्ठा करके उनकी भक्ति उत्पान ।।, 'का मार्ग समस्त देश में प्रशस्त कर दिया गया। हिंदुओं को उस समय जिस निराशा और निरुत्साह ने घेर लिया था, उसकी प्रतिक्रिया प्रारंभ हो गई। नवीन धार्मिक चेतना से अनुप्राणित होकर हिंदू जाति एक बार फिर से सचेत हो उठी। यह ठीक है कि इस आंदोलन का बाह्य स्वरूप बहुत कुछ बदलता रहा, और विष्णु, राम, कृष्ण श्रादि विभिन्न उपास्य देवों की प्रतिष्ठा भी हुई; पर हम यह नहीं भूल सकते कि इस विभिन्नता में भी प्रांतरिक एकता है और वह एकता भगवान् की लोकरंजनी और लोकरक्षिणी सगुण शक्ति की धारा- धना के रूप में दिखाई देती है। मुसलमानों के इस देश में पस जाने के कारण जो स्थिति उत्पन्न हो गई थी यद्यपि उसका प्रभाव भी इस आंदो. लन पर पड़ा, पर निस्संकोच भाव से इतना कहा जा सकता है कि अपने शुद्ध स्वरूप में, यह हिंदुओं के शास्त्रानुकूल था और सगुणोपासना के