पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/१८३

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१८४ हिंदी साहित्य दी। अकघर श्रादि की उदार नीति का अंत हो गया। जज़िया कर फिर से जारी किया गया। तीर्थस्थानों में अनेक सुंदर मंदिर तोड़फर मस्जिद बनने लगी। साम्राज्य के दृढ़ स्तंभ राजपूतों का अविश्वास और अनादर होने लगा, परिणाम स्वरूप देश में अशांति व्याप्त हो गई और नई हलचल श्रारंभ हो गई। सबसे पहले महाराष्ट्र शक्ति का उदय हुना। औरंगजेय को बड़ी कठिनाई का सामना करना पडा। संवत् १७६४ में उसकी मृत्यु के उपरांत तो देहली का केंद्रीय शासन और भी डॉाँडोल हो गया। पंजाव में सिक्स शक्ति का आतंक छा गया। राजपूतों ने मुगलों का साथ देना छोड़ दिया। रुहेलसंड में रहेलों का स्वतंत्र राज्य स्थापित हुआ। अवध और चंगाल के सूबेदारों ने देहली का आधिपत्य अस्वीकृत कर नवाव की उपाधि धारण की और कर देना यंद किया। श्रागरे के निकंट के जाट भी स्वतत्र हो गए। मराठों के पैर तो पहले ही जम चुके थे, अब वे श्रात्मविस्तार करने में लगे। इसी बीच में प्रसिद्ध आक्रमणकारी नादिरशाह ने पाकर दिल्ली को रक्त- रंजित कर दिया और वहां का मयूरासन लेकर सारे देश में भातक फैलाता हुआ वह लौट गया। इस अवसर से लाभ उठाकर 'मराठे लाहौर तक यढ़ गए और समस्त उत्तरापथ उनके अधिकार में हो गया। देश में एक बार फिर से हिंदू राज्य की प्रतिष्ठा होने लगी और इस श्राशा से हिंदुओं में एक जागर्ति सी दिखाई पड़ने लगी। परंतु भारत के भाल में विधि के लिखे अंक कुछ दूसरे ही थे। विलायत से सात समुद्र पार कर अँगरेज जाति भारत में व्यापार करने आई। पहले दक्षिण में उसका व्यापार हो रहा था, पर अशांति के उस युग में उसे अधिकार प्राप्ति की भी इच्छा हुई। भारतीय युद्धपद्धति से उनको युद्धपद्धति बहुत अधिक उन्नत थी और उनमें नवीन उत्साह की तरंगें भी उद्वेलित हो रही थीं। पहले दक्षिण में ही उन्होंने व्यापार छोड़ तलवार ग्रहण की थी। बंगाल में सिराजुद्दौला की निर्वलता से उन्होंने पूरा पूरा लाभ उठाया ।। सं० १८१४ में पलासी के प्रसिद्ध युद्ध में सिराजुद्दौला को हराकर साइव ने भारत में वृटिश साम्राज्य की नींव डाली। सं० १८२१ में बक्सर के युद्ध में बंगाल और अवध के नवायों तथा मुगल सम्राट शाहबालम की सम्मिलित वाहिनी को परास्त कर विजयी अँगरेजों ने उत्तर भारत के एक विशाल खंड पर अपना स्वत्व जमाना चाहा; पर मराठों के प्रयत से शाहनालम फिर से दिल्ली के सिंहासन पर आसीन हुश्रा। मराठों की चौथ इस समय प्रायः भारत- व्यापी हो रही थी। इधर हेस्टिंग्स ने बंगाल में अगरेजी शासन दृढ