पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/१८६

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भिन्न भिन्न परिस्थितियाँ १८७ सामाजिक व्यवस्था के उस युग में बंगाल के प्रसिद्ध राजा राम- मोहन राय ने जो कार्य किया, वह कभी भुलाया नहीं जा सकता। सामाजिक अवस्था अविद्यांधकार में डूवे हुए देश को ज्ञानालोक प्रदान करने का बहुत बड़ा श्रेय उनको है। उनके कुछ समय उपरांत स्वामी दयानंद के आविर्भाव से उत्तर भारत में एक नवीन जातीय चेतना का अभ्युदय हुआ और ईसाइयों तथा मुसलमानों के धर्मप्रचार को बहुत कुछ धक्का पहुँचा। उस समय साधारण हिंदू जनता का यही विश्वास हो रहा था कि हमारी रीति- नीति, हमारी सभ्यता और संस्कृति तथा हमारा धर्म, सय मुसलमानों और ईसाइयों के सामने तुच्छ हैं। स्वामी दयानंद ने इस भ्रांत धारणा का समूल विनाश कर दिया और हिंदू जनता को अपने अमर भांडार उन वेदों की ओर आकर्पित किया जो संसार के उच्चतम ज्ञान के निदर्शन हैं और इस देश के अतीत गौरव के अमिट स्मृति-चिह्न हैं। स्वामी दयानंद के उद्योग से हिंदी भाषा का प्रचार थोड़ा-बहुत बढ़ा और संस्कृत साहित्य के पुनरवलोकन तथा अनुशीलन की प्रवृत्ति भी बढ़ी। समाचारपत्रों के प्रचार से राजनीतिक सामाजिक श्रादि अांदोलनों से जनता परिचित होने लगी और उसका इधर मनोयोग भी हुआ। इसी समय भारत की राजनीतिक आवश्यकताएँ प्रकट करने के लिये नेशनल कांग्रेस की स्थापना हुई, जिसमें तत्कालीन बड़े बड़े लोगों ने सहयोग दिया। लार्ड रिपन के समय से ही स्थानीय शासन में भार- तीयों को सम्मिलित किया जाने लगा था। केंद्रीय तथा प्रांतीय व्यव. स्थापिका सभाओं में हिंदुस्तानी सदस्य चुने जाने लगे। रेल, तार, डाक श्रादि से भी सुविधाएँ चढ़ी और समस्त भारत में एक राष्ट्रीयता का भाव उदय हुआ। संवत् १९६२ में यंगविच्छेद के प्रश्न पर यह भाव स्पष्ट देख पड़ा था। राजनीतिक श्रांदोलन की उन्नति देखकर लार्ड मार्ले को कुछ सुधारों की व्यवस्था करनी पड़ी, परंतु उतने सुधार से उन्नतिशील राजनीतिक दल को संतोप नहीं हुआ। सं० १९७१ में महायुद्ध के प्रारंभ हो जाने पर समस्या और भी जटिल हो गई, परंतु तत्कालीन अँगरेज राजनीतिज्ञों ने बड़ी बड़ी श्राशाएँ दिलाकर भारत की सहानुभूति प्राप्त की और भारत ने धन-जन से महायुद्ध में अँगरेजों की पूरी सहायता की। परंतु युद्ध समाप्त हो जाने पर भारत की आशाप पूरी नहीं हुई वरन् पंजाब के प्रसिद्ध हत्याकांड जैसे अत्याचार हुए और पाशविक शक्ति की सहायता से भारतीयों की श्राकांताओं का दमन किया गया। फलतः तीव्र प्रतिकार का प्रारंभ हुथा। इस