पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/१९८

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१६६ ललित कलाओं की स्थिति जब हम इस काल के मुसलिम स्थापत्य की ओर ध्यान देते हैं तव हमारी दृष्टि पहले पहल दिल्ली की ओर जाती है। दिल्ली के पहले सिंध और अफगानिस्तान में आए हुए अरबों ने कुछ इमारतें बनवाई र्थी; परंतु मंसूरा के भग्नावशेषों के अतिरिक्त अय उनका कोई अवशेप- चिह्न नहीं मिलता। गजनी में भी महमूद के समाधि-मंदिर तथा दो मीनारों अथवा विजयप्रासादों के अतिरिक्त स्थापत्य का कोई उल्लेख- योग्य कार्य नहीं हुश्रा। दिल्ली की इमारतों में जामा या कवायतुल इस्लाम मस्जिद उस समय की प्रधान कृति मानी जाती है। इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐवक ने दिल्ली को विजय के उपरांत किया था और विजयस्मृति में उसे मुसलिम वीरत्व का निदर्शन मानकर तदनुरूप उसका नामकरण भी किया था। इस विशाल मस्जिद को कुतुबुद्दीन के परवर्ती अल्तमश तथा अलाउद्दीन खिलजी आदि नृपतियों ने अधिका- धिक विस्तृत तथा अलंकृत किया। पहले इसमें हिंदू स्थापत्य की ही प्रधानता थी, परंतु ज्यों ज्यों दिल्ली में मुसलमानों का सिफा जमता गया और उन्हें साधन मिलते गए त्यो त्यों इस मस्जिद का रूप-परिवर्तन भी होता गया और इसमें मुसलिम कारीगरी बढ़ती गई। चि० १२८६ कुतुव-मीनार के निर्माण का समय है। संभवतः इसकी रचना का प्रारंभिक उद्देश्य कुछ और ही था, पर पीछे से यह मुसलमानों की विजय का स्मारक बन गया। प्रारंभ में यह लगभग २२५ फुट ऊँचा था। इसमें कुरान की आयतें खुदो हुई हैं। प्रत्येक मस्जिद के कोने पर मीनार होते हैं। इससे अनुमान होता है कि लोहस्तंभ के निकटवाली, हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाई हुई, मस्जिद का यह मीनार होगा; पर पीछे से यह मुसलमानों की विजय का चिह्न बन गया। इसकी मरम्मत भी दिल्ली की शासक-परंपरा ने घरावर की है। यद्यपि कुतुब में भार- तीय अलंकरणों का समावेश देखकर तथा दो नागरी लेखों के आधार पर कुछ विद्वानों ने इसे पृथ्वीराज द्वारा निर्मित बतलाया है, किंतु ऐसी श्राशंका करना उचित नहीं जान पड़ता। यह कहीं से परिवर्तित को हुई इमारत नहीं है, अपने मौलिक रूप में ही है। तेरहवीं शताब्दी की धनी हुई अजमेर की "ढाई दिन का झोपड़ा" मस्जिद दिल्ली की 'कवायतुल इस्लाम मस्जिद की ही भांति भन्य तथा विशाल है। इस काल को ये ही विशेष उल्लेखनीय कृतियाँ हैं। इन प्रसिद्ध इमारतों से मुसलमानों के प्राथमिक विजयोल्लास का पूरा पूरा अनुभव हो जाता है। जब दिल्ली का शासन खिलजियों के चंश से निकलकर तुगलक घंश के हाथ में पाया, तय यहां के स्थापत्य में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन