२०० , हिंदी साहित्य हुया। इस समय तक मुसलमानों का प्राथमिक उल्लास बहुत कुछ शिथिल पड़ गया था और अब वे धर्म के शुचितर सिद्धांतों तथा जीवन की गंभीर समस्याओं की ओर ध्यान देने लगे थे। पूर्व मध्य काल श्रतएव श्रादि काल के मुसलिम स्थापत्य में जो श्रलंकरणाधिक्य श्रीर बाह्य सुंदरता थी, वह इस काल में कम हो चली। यद्यपि अार्थिक स्थिति ने भी सरलता और सादगी की ओर प्रेरित किया, पर मनोवृत्ति में भी परिवर्तन अवश्य हुआ। इस काल की सभी प्रसिद्ध इमारतों में एक पूत भावना का समावेश सा जान पड़ता है। गयासुद्दीन के वनवाए हुए तुगलकाबाद ( सं० १३७२-८२ ) का संपूर्ण स्थापत्य तथा विशेषतः उसकी समाधि श्रादि इस यात के पुष्ट प्रमाण हैं। फीरोज- शाह के यनवाए हुए कोटला फिरोजशाह आदि भी स्थापत्य की दृष्टि से अनलंकृत कोटि के हैं। फीरोजशाह के प्रधान मंत्री खानेजहाँ तिलं- गानी की फन भी इस काल की उल्लेखनीय रचना है; परंतु यह भी आदि काल की मुसलिम इमारतों के सामने बिलकुल सादी पार उजाड़ सी जान पड़ती है। इस काल की कृतियों में भारतीय प्रभाव उतना अधिक नहीं है, जितना आगे चलकर मुगल काल में हुआ।
- सैयद और लोदी शासकों के समय में स्थापत्य की दशा अच्छी
नहीं रही। उनके पास उत्तम स्थापत्य के उपयुक्त साधन ही नहीं थे। अंत में जब मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई और सुख-समृद्धिपूर्ण समय श्राया, तव स्थापत्य को नए सिर से श्रभ्युत्थान का अवसर मिला। मुगल स्थापत्य का प्रारंभ हुमायूँ के मकवरे से हुआ। इसमें सादगो, प्रभ- विष्णुता और भव्यता के साथ साथ भारतीयता का भी सनिवेश हुआ। इसको छेकन सर्वथा भारतीय अर्थात् पंचरत्न, घौद्ध समाधि या देवालय की है। मुगल कला पर भारतीय प्रभाव का यह प्रथम महत्त्वपूर्ण निदर्शन है। हुमायूँ के उपरांत जय इस देश के शासन की बागडोर अकयर के हाथों में गई, तव हिंदू और मुसलिम शैलियों का सम्मिश्रण जैसे अन्य क्षेत्रों में हुश्रा, वैसे ही स्थापत्य में भी हुश्रा। उसकी बनवाई हुई फतहपुर सिकरी की इमारतें देखने में बिलकुल हिंदू इमारतें जान पड़ती है। इनके अलंकरण भी अकवर के ही योग्य हुए हैं-न कम न अधिक; मानों उनमें पूर्णता आँखें खोलकर मुसकरा रही हो। अकयर को ही यनवाई हुई वहीं की जामामस्जिद भी अपनी मिश्रित फला के लिये प्रसिद्ध है, मानों वह सब प्रधान धर्मों के उपासकों का सम्मिलित उपासना-गृह हो। इसके अतिरिक्त जोधवाई का महल, मरियम ज़मानी के भवन, स्वयं अकयर का निवास-भवन, दीवानश्नाम, दीवनखास आदि