पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२४०

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चीरगाथा काल २३६ मुख्यतः उल्लेरा करके शेष के संबंध में बहुत साधारण विवेचन किया था, उसी प्रकार हिंदी के भी एक सामान्य साहित्यिक रूप की प्रतिष्ठा हो गई और साहित्य-ग्रंथों की प्रचुरता होने के कारण उनी की प्रधानता मान ली गई और उसमें व्याकरण श्रादि का नियमित निरूपण भी हो गया। हिंदी के उस साहित्यिक रूप को उस काल में "पिंगल" कहते थे और अन्य रूपों को संज्ञा "डिंगल" थी। 'पिंगल' भापा में अधिक- तर ने विद्वान् रचना करते थे जो अपने ग्रंथों में संयत भाषा तथा व्याकरण-सम्मत प्रयोग के निर्वाह में समर्थ होते थे। पिंगल की रचनाओं में धीरे धीरे साहित्यिकता बढ़ने लगी और नियमों के बंधन भी जटिल होने लगे। इसके विपरीत डिंगल भाषा का प्रयोग करनेवाले राजपूताने के आसपास के भट्ट, चारण आदि थे जिन्हें न तो भापा के शुद्ध रूप का शान था और न उसका प्रयोग करने की आवश्यकता ही थी। पिंगल और डिंगल के इस भेद के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि चंद वरदाई का "पृथ्वीराजरासो" पिंगल भापा में लिखा गया है और नाल्ह का "वीसलदेवरासो" डिंगल की रचना है। अमीर खुसरो ने अपनी मसनधियों पर पहेलियों में जिस भापा का प्रयोग किया, उसके संबंध में यहाँ केवल इतना और कह देना पर्याप्त होगा कि वह दिल्ली और श्रासपास की प्रचलित देशभाषा थी और मुसलमान विजेताओं का केंद्र भी उसी प्रांत में होने के कारण उन्होंने उसको हो ग्रहण किया। पीछे से इसी भाषा में श्ररवी फारसी के शब्दों को हस हसकर उसका स्वरूप ही बदल दिया गया और राजभाषा होने के कारण उसके नए स्वरूप की उन्नति भी होती रही। जातीय वैमनस्य ने भी नई भाषा को अधिकाधिक अपरिचित धना देने में सहायता पहुँचाई। खुसरो द्वारा प्रयुक्त खड़ी बोली की उत्पत्ति के संबंध में अब तक कुछ निश्चित रीति से नहीं कहा जा सकता। कुछ विद्वान् उसका जन्म पैशाची प्राकृत से मानते हैं जो पंजाब (पंचनद) प्रदेश में बोली जाती थी, और कुछ विद्वान् उसकी उत्पत्ति शौरसेनी 'प्राकृत तथा नागर अपभ्रश से मानते हैं। यहाँ हम इस वाद में नहीं पड़ेगे और केवल इतना कहकर संतोप कर लेंगे कि शब्दों की उत्पत्ति तथा वाक्यविन्यास श्रादि की दृष्टि से तथा व्याकरण के अन्य प्रतिबंधों का पालन करने के कारण खुसरो की भाषा इसी देश के एक विशेप भूभाग की प्रचलित भाषा थी। वह न तो खुसरो द्वारा गढ़ी गई थी और न विदेश से ही लाई गई थी। वह तो साधारणतः ब्रजभाषा और पंजावी के मिश्रण से उत्पन्न जान पड़ती है।