पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२४२

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वीरगाथा काल २४१ विस्मृत सी हो गई । विदेशी शासन से राष्ट्र का जो अधःपतन होता है, विजातीय और विधर्मी शासक से उसको जो क्षति पहुँचती है, परतंत्रता में जो अभिशाप उसे मिलते हैं, उन पर तथा ऐसी ही अन्य बातों पर ध्यान देने की समझ भी जाती रही थी। विदेशी शासन को उलट देने की न किसी में शक्ति थी और न इच्छा। प्रसिद्ध क्षत्रिय नृपति हम्मीर- देव ने हिंदुओं के देश में हिंदुओं का राज्य बनाए रसने की जो प्रबल चेष्टा की थी, और सफलतापूर्वक विपक्षियों का जो अनेक पार सामना किया था, वही हिंदू चीरता का अंतिम निदर्शन था। इस दृष्टि से 'हम्मीरचरित्र' उस युग की अंतिम चीरगाथा है। उसके उपरांत फई सौ वर्षों तक हिंदुओं की ओर से राज्यस्थापन का कोई उल्लेस योग्य सामूहिक प्रयत नहीं हुया । महाराणा प्रताप के उत्कट स्वदेशा- नुराग ने एक बार शिथिल ओर निष्प्राण हिंदू जाति को नवजीवन से संचरित करके उसकी नसों में उप्ण रक्त का तेजी से संचार अवश्य कर दिया, पर महाराणा की कार्यप्रणाली में राष्ट्रीय चेतना का सहयोग नहीं था । महाराणा की वीरता उनकी निजी वीरता थी, अथवा अधिक से अधिक वह स्वतंत्रताप्रिय चित्तौड़निवासी क्षत्रियों की वीरता थी, समस्त राष्ट्र का उसमें सहयोग नहीं था। इसका कारण स्पष्ट है। उस समय तक देश सो रहा था। विलासिता का प्रवाह उस समय तक चंद नहीं हुआ था, वरन् प्रवल ही होता जा रहा था। हिंदू जाति उस समय तक परतंत्रता के कप्टो का अनुमान नहीं कर सकी थी, मुसलिम शासन की नृशंसता का पूरा पूरा अनुभव उस समय तक नहीं हो सका था। अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ के शासनकाल में हिंदूजाति घरावर पतनोन्मुख रही। वह उसकी सुपुप्ति की अवस्था थी। महात्मा तुलसीदास ने मंथरा के मुख से "कोउ नृप होय हमें का हानी" कहलाकर उस समय के शासन के संबंध में प्रचलित जनता के विचारों की सच्ची अभिव्यंजना की है। जिस प्रकार शरावी मदिरा पीकर अपनी स्थिति भूल जाता है और आत्मविस्मृति की अवस्था में एक प्रकार की निद्वं. द्वता का अनुभव करता है, उसी प्रकार समस्त भारतीय राष्ट्र उपर्युक्त मुगलशासकों की कूटनीति में फंसकर अपने को भूल गया था और अपनी स्थिति पर संतोप किए हुए बैठा था। । जय किसी जाति के विचारों में इस प्रकार की शिथिलता-जन्य स्थिरता आ जाती है, तब उसके लिये वह काल बड़ा भयावह हो जाता है। ऐसी स्थिरता कर ही दूसरा नाम मृत्यु है। भारतीय जनता भी लगभग ऐसी ही अवस्था में थी; परंतु औरंगजेब के मुसलिम शासन