पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२४६

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वीरगाथा काल २४५ रामदास ने किया था। शिवाजी के अतिरिक्त बुंदेलखंड के प्रसिद्ध अधिपति छत्रसाल ने भी स्थानीय राजपूत शक्ति को उत्तेजित करने का सफल प्रयास किया था। इस प्रकार महाराष्ट्र और मध्यदेश की शक्ति का जो उत्थान हुश्रा, उसमें राष्ट्रीयता की पूरी पूरी मलक दिखाई पड़ी। संयोग से इन दोनों राष्ट्रोन्नायकों को भूपण तथा लाल जैसे सुकवियों का सहयोग भी प्राप्त हुआ, जिससे शक्ति-संघटन में बड़ी सहायता मिली। जातियों के उत्थान में जब कभी महात्माओं, योद्धाओं तथा कवियों की सम्मिलित सहायता मिलती है, तब वह बड़े ही सौभाग्य की सूचना होती है और उससे उनके कल्याण का पथ बहुत कुछ निश्चित और निर्धारित हो जाता है। इसी काल में सिखों को वीरता का भी उदय हुआ और उन्होंने राष्ट्रहित की साधना में पूरा पूरा सहयोग दिया। पर सिख धर्म का प्रारंभ संतों,की वाणी तथा उन्हीं की प्रवृत्ति और प्रकृति के अनुकूल हुआ था। पीछे से समय की स्थिति ने इस धर्म पर ऐसा प्रभाव डाला कि वह संत-साधुओं के धर्म का थाना उतारकर वीरों की वेपभूपा तथा कृतियों से सुसज्जित और अलंकृत हो गया। यद्यपि गुरु गोविंदसिंह के समय में हिंदी काव्यों की रचना हुई पर वे धीर- गाथात्मक नहीं थे वरन् उस समय के साहित्य की प्रगति के अनुकूल थे। भूपण और लाल की रचनाओं.पर विचार करते हुए हमें यह भूल न जाना चाहिए कि इनका श्राविर्भाव उस काल में हुआ था जिस काल में रीति-ग्रंथों की परंपरा ही सर्वत्र देख पड़ती थी। नायिका भेद की पुस्तकों, नखशिख-वर्णनों और भंगाररस के फुटकर पद्यों का जो प्रयल प्रवाह उस समय चला था, उससे बचकर रहना तत्कालीन किसी कवि के लिये बड़ा ही कठिन था। भूपण और लाल भी उस सर्वतो. मुखी प्रवाह से एकदम बचे न रह सके। यद्यपि भूपण की सभी रच- नाएँ प्रायः वीररस की है परंतु उन्होंने अपने शिघराजभूपण नामक ग्रंथ में उन रचनाओं को विविध अलंकारों श्रादि के उदाहरण-स्वरूप रखा है। यह काल-दोष था। उस समय इससे बच सकना असंभव था। इसी प्रकार लाल कवि ने भी यद्यपि वीर व्रत धारण किया था, तथापि विष्णुविलास नामक नायिका-भेद को एक पुस्तक उन्होंने लिख ही डाली। कविवर लाल के छत्रप्रकाश नामक ग्रंथ में प्रसिद्ध छत्रसाल की वीरगाथा अंकित है, और प्रबंधकाव्य के रूप में होते हुए भी उसकी रचना अत्यंत प्रौढ़ और मार्मिक हुई है। महाकवि भूपण की ही भांति कविवर लाल के इस ग्रंथ में जातीयता की भावना मिलती है और उनकी इस रचना में श्रृंगाररस नहीं आने पाया है।