पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२४९

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२४८ हिंदी साहित्य इस प्रकार पूरी जीवन-गाथा न होते हुए भी वीर छत्रसाल का यह चरित्र घडाही उत्तम हुआ है। लंबे प्रबंधों में संबंध-निर्वाह और अरोचकता. निवारण श्रादि का जो ध्यान ' रखना श्रावश्यक होता है, इसमें उसका पूरा पूरा पालन हुआ है। रसपरिपाक में भी त्रुटि नहीं होने पाई है। वीर छत्रसाल महाराज शिवाजी को अपना नेता और पथप्रदर्शक मानते थे। कवि ने उनके इस संबंध की रक्षा करके अपनी सत्यप्रियता का परिचय तो दिया ही है, साथ ही उस राष्ट्रोत्थान में सहायता भी पहुंचाई है जिसका संचालन शिवाजी कर रहे थे। कवि की इस बात में घडी 'महत्ता है क्योंकि उसमें जातीय उन्नायकों के प्रति पूर्ण सहानुभूति है, और वैयक्तिक ऊँच नीच भाव को अलग रखने की दूरदर्शिता भी है। उस युग के किसी फपि में ऐसी तत्त्वग्राही प्रवृत्ति नहीं देख पड़ती। भूपण और लाल दोनों ही कवियों में हम यह एक सामान्य प्रवृत्ति देखते हैं कि वे क्लिट कल्पनाओं और टेढ़ी वातों के फेर में न पड़कर सीधी और सरल भावव्यंजना करते हैं। उनका यह गुण उन्हें उस युग के प्रायः सभी अन्य कवियों से अलग एक ऊँची श्रेणी में ला वैठाता है। वास्तव में जो कवि जनता के हितेपी होते हैं और जिन्हें अपने युग का कुछ संदेश देना होता है वे कभी वाणी का इंद्रजाल नहीं रचते, प्रत्युत सरल से सरल शब्दों में अपना संदेश कह सुनाते हैं। रीतिकाल के कवियों की तो यह एक प्रसिद्ध विशेपता थी कि वे अत्यंत मधुर भाषा में पुरानी पिएपेपित यातों को एक नए ढंग से कह डालते थे। उन्हें मौलिक बहुत कम कहना रहता था; अतः सीधी और स्वाभाविक उक्तियों से उनके कथन में विशेषता नहीं था सकती थी। भूपण और लाल की रचनाएँ रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्ति के अपवाद-स्वरूप हैं। उनमें न तो भापा की स्वच्छता पर और न काव्योत्कर्प की वृद्धि करनेवाले अन्य कृत्रिम साधनों पर उतना ध्यान दिया गया है। इन दोनों फपियों ने बड़े ही सीधे किंतु प्रभावशाली ढंग से अपने अपने चरित्रनायकों की यशोगाथा लिखी और राष्ट्र को इस प्रकार संघटन और स्वतंत्रता का दिव्य संदेश सुनाकर वे अपने युग के और हिंदू जाति के प्रतिनिधि कचि हुए। __ भारत पर ब्रिटिश शासन के प्रतिष्ठित हो जाने पर अँगरेजी को पढ़ाई प्रारंभ हुई। इसके परिणाम स्वरूप अँगरेजी शिक्षा प्राप्त एक दल श्राधनिक समय की तैयार हुआ और धीरे धीरे उसमें राष्ट्रीय उन्नति के चीर कविताएँ भाव उदय हुए। राष्ट्रीय उन्नति की कल्पना सर्वतो. , मुखी थी। सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, श्रादि प्रत्येक क्षेत्र में सुधार का आयोजन होने लगा। यद्यपि अन्य प्रांतों