पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२५५

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२५४ हिंदी साहित्य प्राधान्य है। एक प्रकार से उन्होंने काम-लिप्सा के प्रात्यंतिक त्याग को ही अपने योग को कसौटी स्वीकार किया है। महात्मा गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ पूरे सिद्ध होते हुए भी सिंहल की कामिनियों से अपने योग की रक्षा न कर सके थे। यह उनकी टि कही गई है। परंतु नाथ-पंथ या हठयोगियों के कतिपय सांप्रदायिक ग्रंथों और वाणियों के निरीक्षण से यह भी अनुमान किया जा सकता है कि उनकी निवृत्ति-मूलक साधना बहुत कुछ परिस्थितियों का ही परिणाम थी, एकांत मत न था। इसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि नाथ- मतावलंबियों ने सांसारिक योग-क्षम का तिरस्कार नहीं किया परन् अत्यधिक शारीरिक श्रायास या फट-सहन को वे योग-मार्ग में अनाव- श्यक समझते थे। इस दृष्टि से हम उन्हें श्रात्यंतिक प्रवृत्ति और निवृत्ति के मध्य-मार्ग का अवलंबन करनेवाले मान सकते हैं। तथापि परिस्थिति- यश उन्होंने निवृत्ति का अधिक उपदेश किया। यद्यपि योग व्यक्तिगत साधना का मार्ग कहा गया है परंतु उसका यह अर्थ नहीं है कि संसार के कार्यों से अलग होकर वनों में जा रहना ही सच्चा या एक मात्र योग है। योग वास्तव में व्यक्तिगत साधना उसी श्रर्थ में है जिस श्रर्थ में सभी विद्याओं की साधना व्यक्तिगत होती है। अन्य सांसारिक विद्याओं की साधना और योग की साधना में अंतर यह है कि सांसारिक विद्याएँ अपना लक्ष्य संसार को ही मानती है परंतु योग-विद्या अपना लक्ष्य संसार से पृथक, परमात्मा या अलौकिक सत्ता को मानती है। उस अलौकिक सत्ता की प्राप्ति के अनेक उपाय भारतीय शास्त्रों में कहे गए हैं। वे सभी योग के अंतरगत हैं। उन्हीं में एक हठयोग भी है। . हठयोग का अर्थ श्राग्रहपूर्वक अथवा अविचलित भाव से योग- मार्ग की साधना करना है। जिस विशेष प्रकार की योग-साधना का श्राग्रह हठयोगियों ने किया वही उस संप्रदाय की विशेषता स्वीकार की जा सकती है। चित्त को एकाग्र करना, विशिष्ट यम-नियमों का पालन करना, स्थिर श्रासन की साधना करना ये अंत्यत व्यापक शास्त्रीय प्रवचन हैं जो सभी योगों के लिये अनिवार्य हैं। हमें देखना यह चाहिए किस संप्रदाय ने किन श्राचरणों को अपने यहाँ प्रधानता दी है। अत्यंत विपरीत प्रकार के प्राचरण भी भिन्न भिन्न योग-संप्रदायों में पाए जाते हैं और वे उन संप्रदायों से समर्थित भी हुए हैं। एक प्रकार से समस्त साधना अथवा संसार के सभी क्रियाकलाप, जिनका लक्ष्य सांसारिक द्विविधाओं के ऊपर उठने.का है, योग कहे जा सकते